पर्वतीय राज्यों के मुताबिक उत्तराखंड में सबसे ज्यादा हो रहे महिलाओं संग अपराध। प्रतीकात्मक
चयन राजपूत जागरण, हल्द्वानी। उत्तराखंड को देवों की भूमि से जाना जाता है लेकिन यहीं पर अन्य पर्वतीय राज्यों के सापेक्ष महिलाओं के साथ अपराध बढ़ गए हैं। इसमें अपहरण, पोक्सो से हटकर दहेज मृत्यु जैसी घटनाएं भी हैं। यह स्थिति राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि देश के स्तर पर देखें तो महिला अपराधों के मामलों में उत्तराखंड 19वें स्थान पर है। उत्तराखंड में वर्ष 2021 से लेकर 2023 तक महिला अपराधों में 465 मामलों की वृद्धि हुई है। यह अधिकांश पहाड़ी राज्यों से अधिक है। हिमाचल प्रदेश में मामूली वृद्धि हुई है। जबकि मणिपुर में महिला अपराधों में बड़ी गिरावट आई है।
महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के अपराधों के तहत पोक्सो के मामले देखें तो सबसे अधिक 814 मामले उत्तराखंड में ही हैं। मेघालय में 409 मामले हैं। हिमाचल, अरुणाचल व मिजोरम में यह संख्या और कम है। जबकि उत्तराखंड में मानव तस्करी के सिर्फ चार मामले सामने आए हैं। 2023 में हिमाचल, अरुणाचल, त्रिपुरा में पांच मामले सामने आए हैं।
पर्वतीय राज्यों में महिलाओं के अपराध के मामले की स्थिति
- राज्य - 2021 - 2022 - 2023
- उत्तराखंड - 3431 - 4337 - 3808
- हिमाचल प्रदेश - 1599 - 1551 - 1604
- त्रिपुरा - 807 - 752 - 791
- अरुणाचल प्रदेश - 366 - 335 - 326
- मेघालय - 392 - 418 - 307
- मणिपुर - 302 - 248 - 201
- सिक्किम - 130 - 179 - 134
- मिजोरम - 176 - 147 - 184
- नागालैंड - 54 - 49 - 56
महिलाओं के अपहरण व पोक्सो के तहत बच्चों के साथ यौन अपराध
- राज्य - अपहरण - पाक्सो के मामले - दहेज मृत्य - आत्महत्या के लिए उकसाना - मानव तस्करी
- उत्तराखंड - 743 - 814 - 48 - 19 - 04
- हिमाचल प्रदेश - 361 - 393 - 00 - 39 - 05
- मेघालय - 117 - 409 - 00 - 02 - 00
- त्रिपुरा - 114 - 137 - 21 - 14 - 05
- मणिपुर - 34 - 57 - 01 - 04 - 00
- अरुणाचल प्रदेश - 39 - 58 - 01 - 03 - 05
- मिजोरम - 07 - 115 - 00 - 00 - 00
- नागालैंड - 07 - 15 - 00 - 00 - 00
- सिक्किम - 22 - 91 - 00 - 02 - 00
उत्तराखंड में महिला अपराधों के मामले में अच्छी रिपोर्टिंग हो रही है। इसलिए यह आंकड़े भी सामने आ रहे हैं। महिलाओं के मामलों में पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है। प्रदेश के हर थानों में महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क भी स्थापित की गई है। ताकि उनके मामले पहले सुने जाएं। पुलिस अच्छा वर्कआउट कर रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट दो वर्ष पहले की है। हो सकता है कि वर्ष 2024 व 25 में महिला अपराधों का ग्राफ कम हो। - रिद्धिम अग्रवाल, आइजी कुमाऊं |