रास्ता न होने से नौ घंटे दरवाजे पर पड़ा रहा शव।
संवाद सूत्र, रामकोला। बीमारी से मौत हुई महिला का शव रास्ते के अभाव में दरवाजे पर सोमवार को नौ घंटे पड़ा रहा। स्वजन सहित गांव के लोग बंद रास्ते को खुलवाने की मांग कर रहे थे। लंबे इंतजार के बाद लाेगों का धैर्य जवाब दे गया और वे विरोध प्रदर्शन करने लगे। पुलिस ने समझाया-बुझाया पर बात नहीं बनी। तहसीलदार के दो माह में समस्या का समाधान कराने के आश्वासन के बाद लोग माने और मामला शांत हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
धुंआटीकर के दलित बस्ती की 35 वर्षीय रिंकी पत्नी बेचू की तबीयत रविवार की शाम को अचानक बिगड़ गई। सामुदायिक स्वास्थ केंद्र ले जाते समय रास्ते में उनकी मृत्यु हो गई। अगली सुबह शव के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हुई।
आसपास के लोग बगल से होकर जा रहे पुराने व बंद पड़े मार्ग को खोले जाने की मांग करने लगे। क्योंकि बेचू के दरवाजे से गांव के मुख्य मार्ग तक जाने के लिए काफी पतली गली है और इससे होकर एक साथ दो लोग नहीं आ-जा सकते।
इधर शव ले जाने के लिए सुगम रास्ता न होने से स्वजन सहित आसपास के लोग आक्रोशित हो गए। बंद रास्ते को खुलवाने की मांग को लेकर लोग लामबंद हो गए। मामले की जानकारी होने पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने का प्रयास किया पर बात नहीं बनी। आक्रोशित लोग विरोध, प्रदर्शन करने लगे।
मामला बढ़ते देख एसएचओ आरपी सिंह ने उच्चाधिकारियों को सूचना दी। मौके पर पहुंच तहसीलदार कप्तानगंज चंदन शर्मा लोगों को समझाने में जुट गए। लोगों ने बताया कि बेचू के घर के बगल से होकर जाने वाला पुराना मार्ग तीन वर्ष से बंद पड़ा है।
गांव का ही व्यक्ति बगल से रास्ता देने का आश्वासन दे पुराने मार्ग को बंद कर दिया। लोग उसकी बातों पर भरोसा कर लिए। बाद में वह अपनी बात से मुकर गया। इससे दर्जनों परिवार का मार्ग बंद हो गया है। तहसीलदार ने गांव के प्रधान, पूर्व प्रधान सहित कई लोगों से पूछताछ की। लोगों ने बताया कि पहले रास्ता चलता था, तीन वर्ष से बंद है।
तहसीलदार ने कहा कि दो माह में इस समस्या का समाधान करा दिया जाएगा। इसके बाद लोग माने और मामला शांत हुआ। इस तरह सुबह सात बजे से शुरू रस्साकसी शाम को चार बजे समाप्त हुई। स्वजन खेत के रास्ते शव लेकर नहर किनारे गए, जहां शव का अंतिम संस्कार हुआ। |