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छत्तीसगढ़ पैसेंजर ट्रेन-मालगाड़ी हादसे में 10 की मौत, कैसे हुई घटना; कौन है जिम्मेदार? पूरी रिपोर्ट

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छत्तीसगढ़ में पैसेंजर ट्रेन-मालगाड़ी हादसे में 10 की मौत (फोटो- पीटीआई)



जेएनएन, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार शाम चार बजे पैसेंजर ट्रेन के खड़ी मालगाड़ी से टकराने के कारण 10 यात्रियों की मौत हो गई। दुर्घटना में 25 से अधिक घायलों को विभिन्न अस्पतालों में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रेलवे सुरक्षा आयुक्त को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई

प्राथमिक तौर पर संकेत हैं कि ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम फेल होने के कारण यह दुर्घटना हुई। ट्रेन की गति तेज होने को भी दुर्घटना का कारण माना जा रहा है। रेलवे सुरक्षा आयुक्त को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जयरामनगर और गोतरा स्टेशन के बीच गेवरा रोड-बिलासपुर मेमू लोकल पैसेंजर ट्रेन (68733) की इंजन का हिस्सा मालगाड़ी पर चढ़ गया, जिससे एक लोको पायलट विद्याधर की मौके पर मौत हो गई।
महिला लोको पायलट चली ट्रेन से कूदी

साथ चल रही महिला लोको पायलट रश्मि राज ने दुर्घटना के ठीक पहले कूदकर जान बचा ली। उसे भी अन्य घायलों के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार अभी महिला पायलट बात नहीं कर पा रही हैं। उससे ही दुर्घटना के सही कारणों की जानकारी मिलने की उम्मीद है।

सभी घायलों को रेलवे अस्पताल के साथ ही सिम्स बिलासपुर और जिला अस्पताल, बिलासपुर में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। लोको पायलट विद्याधर का शव इंजन में ही फंस गया था। कटर का प्रयोग कर उनका शव निकालना पड़ा।
रेलवे की तरफ से आर्थिक सहायता की घोषणा

उधर, रेलवे ने मृतकों के स्वजन को 10-10 लाख रुपये तथा राज्य सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये आर्थिक सहायता की घोषणा की है। इसी के साथ गंभीर रूप से घायलों को रेलवे की तरफ से पांच लाख और सामान्य घायलों को एक लाख रुपये दिए जाएंगे।

राज्य सरकार की ओर से घायलों के लिए 50 हजार रुपये आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ट्रेन दुर्घटना को अत्यंत दु:खद और पीड़ादायक बताते हुए दिवंगत हुए यात्रियों के स्वजन के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
तीन घंटे तक बाधित रहा सभी ट्रेनों का आवागमन

दुर्घटना के बाद हावड़ा से मुंबई जाने वाली अप लाइन पर अप के साथ मिडिल, डाउन और चौथी लाइन को बंद कर दिया गया। बिलासपुर के रास्ते में चल रही सात ट्रेनों को मौके पर ही रोक दिया गया। तीन घंटे के बाद डाउन लाइन को रात लगभग सात बजे खोला गया। इसके बाद बिलासपुर स्टेशन पर नियंत्रित की गई ट्रेनों को एक के बाद एक रवाना किया गया। सबसे पहले गोंडवाना एक्सप्रेस को रवाना किया गया।
रेलवे की सुरक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में

दुर्घटना से रेलवे की सुरक्षा प्रणाली भी सवालों में आ गई है। दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए \“कवच\“ व्यवस्था के पूरी तरह लागू होने से पहले रेलवे की ओर से आटोमैटिक सिग्नल प्रणाली की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था के तहत गाडि़यों का दबाव होने की स्थिति एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें चल सकती हैं।

दिन में 15 किलोमीटर प्रतिघंटा और रात में 10 किलोमीटर प्रतिघंटा ट्रेनों को चलाया जा सकता है। पैसेंजर ट्रेन के बारे में आशंका जताई जा रही है कि लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) तेज गति में ट्रेन को चला रहा था।

इस बात की भी आशंका है कि सिग्नल की व्यवस्था की भी अनदेखी की गई। ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी के अचानक सामने आने पर वह ट्रेन को नियंत्रित नहीं कर पाया।  

घटना की सूचना मिलने पर रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। राहत ट्रेन को भी मौके पर भेजा गया। रेल अधिकारियों ने इस मामले की गहन जांच का आश्वासन दिया है।
अंधेरा होने के कारण बचाव कार्य में आई बाधा

घटना शाम चार बजे की है। रेलवे की ओर से आधे घंटे के बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। मौके पर लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही थी। रेलवे की लापरवाही के कारण समय पर बिजली नहीं पहुंची थी। काफी देर के बाद प्रकाश की व्यवस्था की गई। इसके बाद राहत कार्य दोबारा शुरू किया गया। वहीं, रिलीफ ट्रेन भी देर से मौके पर पहुंची।
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