सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून के जाखन क्षेत्र में एक बार फिर विदेशी नस्ल के राटवीलर कुत्ते ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। एक युवक ने मामूली झगड़े में पालतू कुत्ते को आटो चालक पर छोड़ दिया।
पीड़ित ने खुद को कुत्ते के चंगुल से छुड़ाकर जान बचाई। बाद में भले ही पुलिस चौकी में दोनों पक्षों में समझौता हो गया, लेकिन कुत्ते से दूसरों पर हमला कराने की सनक ने एक बार फिर इस खतरनाक शौक पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नगर निगम ने नए नियमों के आधार पर कुत्ता मालिक का पांच हजार रुपये का चालान कर कुत्ता पालने को लेकर कड़ी चेतावनी दी है।
घटना के अनुसार, मंगलवार को राजपुर रोड पर ब्रुक्स एंड वुड कालोनी की गली में रोहित अपने राटवीलर को पट्टा बांधकर घुमा रहा था। इसी दौरान कालोनी में खड़े आटो चालक दीप नारायण यादव से किसी बात को लेकर उसकी कहासुनी हो गई।
बहस इतनी बढ़ी कि रोहित ने गुस्से में अपने कुत्ते का पट्टा छोड़ दिया। अगले ही पल राटवीलर ने गुर्राते हुए आटो चालक पर झपट्टा मारा और उसकी टांग पर काट लिया।
गनीमत रही कि चालक ने हिम्मत दिखाते हुए खुद को छुड़ा लिया, वरना हादसा गंभीर हो सकता था। इसके बाद आटो चालक सीधा जाखन पुलिस चौकी पहुंचा और रोहित के खिलाफ शिकायत दी।
पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाया, जहां बातचीत के बाद समझौता हो गया। आटो चालक ने इलाज का खर्च लेकर मुकदमा दर्ज नहीं कराया। घटना की सूचना नगर निगम तक पहुंची, जिसके बाद निगम की टीम तुरंत चौकी पहुंची।
जांच में सामने आया कि उक्त कुत्ता बिना पंजीकरण के पाला जा रहा था। इस पर निगम टीम ने मौके पर ही पांच हजार का चालान काटा और मालिक को कड़ी चेतावनी दी। इसके बाद युवक ने तत्काल कुत्ते का पंजीकरण कराया, जबकि निगम ने उसे तीन माह के भीतर कुत्ते का बंध्याकरण कराने के निर्देश दिए हैं।
नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डा. वरुण अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम खूंखार प्रजातियों के कुत्तों का पंजीकरण कर रहा है, ताकि डेटा उपलब्ध रहे और किसी भी नियम उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। खुले में घुमाने या बिना मजल (सुरक्षा बेल्ट) के कुत्ते लाने पर भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जुलाई में बुजुर्ग महिला पर भी हुआ था हमला
यह कोई पहली घटना नहीं है। जुलाई में भी जाखन क्षेत्र में दो राटवीलर कुत्तों ने एक बुजुर्ग महिला पर हमला कर दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। महीनों बाद भी वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाई हैं। लगातार ऐसे मामलों ने नागरिकों के बीच विदेशी नस्ल के कुत्तों को लेकर भय और आक्रोश बढ़ा दिया है।
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