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Utpanna Ekadashi 2025 Date: 16 या 15 नवंबर कब है उत्पन्ना एकादशी? यहां जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chikheang 2025-11-5 12:37:45 views 924

  

Utpanna Ekadashi 2025 Date: उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्पन्ना एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह वह पावन तिथि है जब देवी एकादशी का जन्म हुआ था, जिन्होंने भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न होकर मूर नामक दैत्य का वध किया था। ऐसा कहते हैं कि इस एकादशी (Utpanna Ekadashi 2025) का व्रत करने से व्यक्ति को पिछले और वर्तमान जन्मों के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस साल उत्पन्ना एकादशी कब मनाई जाएगी? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
उत्पन्ना एकादशी 15 या 16 नवंबर कब है? (Utpanna Ekadashi 2025 Date And Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 नवंबर को देर रात 12 बजकर 49 मिनट पर अगहन महीने (मार्गशीर्ष) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 37 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसलिए 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, इसका पारण 16 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 08 मिनट के बीच किया जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Utpanna Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

  • एकादशी से एक दिन पहले दशमी तिथि की रात में सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें।
  • भगवान विष्णु के समक्ष हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  • उन्हें रोली, चंदन, अक्षत, पीले फूल, फल और तुलसी दल अर्पित करें।
  • \“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय\“ मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए।
  • इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है।
  • अगर हो पाए, तो रात के समय भगवान का भजन-कीर्तन करें।
  • अगले दिन, यानी 16 नवंबर को द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें।
  • इसके बाद व्रत का पारण करें।
  • पारण हमेशा हरि वासर यानी द्वादशी तिथि को करना चाहिए।

पूजा मंत्र (Utpanna Ekadashi 2025 Puja Mantra)

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:।।
  • शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
  • लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुम् भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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