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बिहार चुनाव 2025: अंदरूनी कलह से उम्मीदवारों की बढ़ी मुश्किलें

LHC0088 3 day(s) ago views 549

  

भितरघात कहीं दे न दे गच्चा  



अमरेंद्र कांत, किशनगंज। विधानसभा चुनाव का प्रचार तेज हो गया है। नेताओं के सभा के साथ प्रत्याशी व उनके समर्थक जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। लेकिन दलों के अंदर आपसी खींचतान व भितरघात की बातें भी सामने आने लगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कई पार्टी के नेताओं की सक्रियता जहां चुनाव में नहीं दिख रही है। वहीं टिकट कटने से नाराज विधायक के रिश्तेदार भी दूसरे दलों को समर्थन करते दिख रहे हैं। जिस कारण प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती है।

चुनाव के शुरूआती दौर में हर पार्टी व दल में टिकट के लिए मारामारी चल रही थी। हर दलों में तीन-चार लोग पार्टी की टिकट के रेस में थे। लेकिन इनमें से कई नेताओं को निराशा हाथ लगी। उनके मनोनुकूल प्रत्याशी या उन्हें जगह नहीं मिल सका। ऐसा नेता फिलहाल प्रचार में दल से किनारे दिख रहे हैं। जिस कारण भितरघात से सभी दल व पार्टी के प्रत्याशी जूझ रहे हैं।

किशनगंज विधानसभा में कांग्रेस के सिटिंग विधायक का टिकट काटकर पार्टी ने हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिस कारण निवर्तमान विधायक की सक्रियता इन दिनों पार्टी के अंदर या प्रचार में कम देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार उनके खास समर्थक भी नाराज चल रहे हैं।

भाजपा में भी टिकट के कई दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने के बाद टिकट की रेस में शामिल पार्टी नेता नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार के दौरान गायब दिख रहे हैं। एआइएमआइएम से टिकट लेने की रेस में शामिल नेता को टिकट नहीं मिलने से वो बागी होकर दूसरे दल से मैदान में हैं।
कोचाधामन में अलग ही खेल

कोचाधामन विधानसभा में भी भितरघात की संभावना बनीं हुई है। यहां से एआइएमआइएम से जीते इजहार असफी की जगह राजद ने अगस्त माह में जदयू छोड़कर राजद में शामिल होने वाले पूर्व विधायक को अपना उम्मीदवार बनाया है।

इधर, निवर्तमान विधायक के पुत्र ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया था। हालांकि उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। जिसके बाद से निवर्तमान विधायक के पुत्र इम्तियाज असफी एआइएमआइएम प्रत्याशी के चुनावी सभा का मंच साझ़ा कर रहे हैं।

वो कहते हैं कि उनके पिता के टिकट को दलालों ने चोरी कर ली। अब इसका फैसला जनता करेगी और करारा जवाब देगी। विधायक भी खुलकर महागठबंधन के मंच पर नहीं दिख रहे हैं। जिस कारण उनके समर्थक भी मौन हैं। ठाकुरगंज विधानसभा की बात करें तो एनडीए से यह सीट लोजपा आर के खाते में गई है।

जबकि स्थानीय भाजपा नेता इस सीट पर अपना दावा कर रहे थे। वर्ष 2020 में यहां से एनडीए की ओर से वीआइ पार्टी मैदान में थी। इस बार भाजपा इसे अपना सीट मानकर क्षेत्र में सक्रियता दिखा रही थी। अब वहां से 20 वर्षों तक भाजपा का दामन थामने वाले वरूण कुमार सिंह दूसरे दल से मैदान में आ गये हैं।

जिससे भाजपा के कार्यकर्ता पेशोपेश में हैं और यहां भी भितरघात की संभावना बनती जा रही है। जिससे प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती है।

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