Diwali 2025 प्रयागराज में चौक स्थित बहादुरगंज में चीनी के खिलौने बनाते व पैक करते कारीगर। जागरण  
 
  
 
राजेंद्र यादव, प्रयागराज। Diwali 2025 दीपावली आते ही चीनी के खिलौनों से बाजार सज जाते हैं। इस बार भी रंग-बिरंगे खिलौनों में बतख, मछली, हाथी, घोड़े, ऊंट, मीनार आदि दीवाली के बाजार में सज गए हैं। सभी मुहल्लों की सड़कों के किनारे फुटपाथ पर जमीन पर इनकी बिक्री शुरू हो गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
चीनी के खिलौने संग निभाई जाती है परंपरा   
 
प्रयागराज के साथ ही अन्य जगहों पर दीवाली की परंपरा निभाई जाती है। इसके तहत गणेश-लक्ष्मी का पूजन-अर्चन के साथ ही प्रसाद में लाई, लावा, च्यूड़ा, चीनी मिठाई के खिलौने, गट्टा आदि को भी अर्पित किया जाता है। इसके बाद दीपावली के दिन एक-दूसरे के घरों में ये सब थाली में सजाकर पहुंचाने की परंपरा निभाई जाती है। हालांकि बदलते समय के साथ अब लोग दीवाली गिफ्ट देने लगे हैं लेकिन पुरानी परंपरा अभी भी जीवित है।   
कारीगर इसे विभिन्न स्वरूप में बनाते हैं  
 
बच्चों को चीनी के खिलौने बेहद पसंद है। और आकर्षण बढ़ाने के लिए कारीगर इसे हाथी, घोड़ा, ऊंट, फूल आदि का स्वरूप देते हैं। अब आइए जानें कि लोगों की जुबां पर मिठास घोलने वाले इस चीनी के मिठाई को कारीगर कैसे बनाते हैं। प्रयागराज में कई जगह इसका कारखाना है।   
चीनी, कोयला के दाम वृद्धि से चीनी मिठाई के रेट बढ़े  
 
शहर के बताशामंडी और मुट्ठीगंज में रहने वाले कुछ लोग चीनी की मिठाई बनाते हैं। कई पीढ़ियों से उनके यहां यही काम होता है। हालांकि, इस बार चीनी व कोयला के दामों में वृद्धि के कारण चीनी के खिलौने की कीमत में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  
शुरू हो गई है बिक्री  
 
दीपावली पर चीनी से तैयार किए जाने वाले खिलौने का विशेष महत्व होता है। भगवान गणेश व लक्ष्मी जी के पूजन में इसका उपयोग होता है। दीपावली बेहद नजदीक है, ऐसे में त्योहार के लिए कारीगरों ने अपने कारखानों में पर खिलौने तैयार करना शुरू कर दिए हैं। इसकी बिक्री भी शुरू हो गई है।  
चक बहादुरगंज में ऐसे बनाई जाती है चीनी के खिलौने  
 
चक बहादुरगंज में चीनी के खिलौने तैयार करने वाले सोनू बताते हैं कि चीनी के खिलौने के साथ ही गट्टे भी बाजार में खूब बिकते हैं। हालांकि, इसे तैयार करना आसान नहीं होता। बताते हैं कि चीनी के खिलौने बनाने के लिए पहले चाशनी बनाई जाती है। इसके बाद इसे सांचे में भरा जाता है।  
चीनी का गट्टा ऐसे होता है तैयार   
 
इसी प्रकार गट्टा को तैयार करने के लिए पहले चीनी की चाशनी बनाई जाती है। इसके बाद इसे एक बड़े से सांचे में पलट दिया जाता है। जब यह जम जाती है तो इसका रोल बनाया जाता है और फिर कटिंग करके गट्टा तैयार होता है। यहीं के निवासी दिनेश बताते हैं कि उनकी तीन पीढ़ियों से चीनी की मिठाइयां बनाने काम किया जा रहा है। पिछले वर्ष चीनी के खिलौने 60-70 रुपये प्रतिकिलो था, जबकि इस बार 70-80 रुपये प्रतिकिलो है। इसकी वजह चीनी व काेयले के दाम में वृद्धि बताते हैं।  
अन्य जिलों में करते हैं आपूर्ति  
 
कहते हैं कि यहां बने चीनी के खिलौने व गट्टे सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि कौशांबी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, मीरजापुर, जौनपुर, वाराणसी, सुल्तानपुर, आगरा, झांसी के साथ ही दिल्ली व मुंबई भी भेजा जाता है।  
 
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