deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

यदि रूस का तेल बंद हुआ तो... ट्रंप के कहने पर क्या भारत सच में रूसी तेल छोड़ देगा?

LHC0088 2025-10-19 19:07:32 views 1223

  



नई दिल्ली। डोनल्ड ट्रंप (Donald Trump) आए दिन नए-नए दावे करते रहते हैं। इन्ही में से हाल ही में एक दावा किया कि भारत अब रूस से कच्चा तेल (crude oil) खरीदना बंद कर देगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आश्वासन भी मिला है। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि उन्हें ऐसी किसी कॉल या बातचीत की जानकारी नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब सवाल ये है कि क्या भारत वास्तव में रूसी तेल छोड़ सकता है? तो चलिए इस जवाब कि पड़ताल आंकड़ों, फैक्ट और जानकारी से करते हैं।
भारत की तेल जरूरतें और रूस का रोल

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, और अपनी ज़रूरत का लगभग 87% तेल बाहर से खरीदता है। पहले, भारत ज्यादातर तेल मिडिल ईस्ट (इराक, सऊदी अरब, यूएई) से लेता था। लेकिन जब 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदियां लगाईं, तब भारत को रूसी तेल सस्ते दामों में मिलने लगा।

कभी रूस 2020 में भारत की कुल तेल खरीद का सिर्फ 1.7% हिस्सा देता था। अब 2024-25 तक वो लगभग 40% तक पहुंच गया है। यानी रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है।
रूसी तेल क्यों इतना जरूरी है?

रूसी तेल भारत के लिए सिर्फ सस्ता नहीं है, बल्कि तकनीकी रूप से भी फायदेमंद है। भारत की रिफाइनरियां (जहां कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल बनता है) इस तरह डिजाइन की गई हैं कि रूसी तेल से ज्यादा मिडिल डिस्टिलेट जैसे डीजल और जेट फ्यूल निकलते हैं।

अगर भारत रूसी तेल बंद कर दे, तो उसे उतना ही ईंधन निकालने के लिए महंगा तेल खरीदना पड़ेगा, जिससे हर साल 3 से 5 अरब डॉलर का अतिरिक्त खर्च होगा।
क्यों अचानक नहीं रुक सकता रूस से तेल आयात?

तेल खरीद कोई आज ऑर्डर दिया, कल मिल गया वाली चीज नहीं है। यह 4 से 6 हफ्ते पहले तय होता है। यानी जो तेल अभी आ रहा है, उसकी डील सितंबर में ही हो चुकी थी। इसलिए अगर आज कोई फैसला भी लिया जाए, तो उसका असर नवंबर या दिसंबर के बाद दिखेगा।

सच तो ये भी है कि भारत की रिफाइनरियां और पूरा ईंधन तंत्र अभी भी रूसी तेल पर काफी निर्भर हैं। भले ही डिस्काउंट कम हुआ है (पहले $20 प्रति बैरल तक, अब लगभग $4-5), फिर भी रूस का तेल सबसे सस्ता और फायदे वाला सौदा है।
अमेरिका और भारत के बीच खींचतान क्यों है?

अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उससे बने प्रोडक्ट (जैसे डीज़ल, पेट्रोल) यूरोप और दूसरे देशों को बेच रहा है। यानी अप्रत्यक्ष रूप से रूस को फायदा मिल रहा है। अब अमेरिका ने भारत के कुछ निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगा दिए हैं, जिसमें से 25% पेनल्टी सिर्फ इसलिए है क्योंकि भारत रूस से तेल लेता है।

यह भी पढ़ें: टैरिफ को लेकर आ गया ट्रंप का नया फरमान, राहत के साथ किया बड़ा एलान; ट्रक और बस पर लगेगा इतना टैक्स
क्या भारत अमेरिकी तेल से काम चला सकता है?

तकनीकी रूप से देखा जाए भारत अमेरिका से तेल खरीद सकता है और पहले से ले भी रहा है। साल 2025 में भारत ने करीब 3.1 लाख बैरल प्रति दिन अमेरिकी तेल खरीदा और यह बढ़कर अक्टूबर तक 5 लाख बैरल प्रति दिन तक जा सकता है।

लेकिन इसमें अमेरिकी तेल का हल्का होने वाली दिक्कत है, जिससे डीजल कम बनता है। क्योंकि भारत का फोकस डीजल और जेट फ्यूल पर है। ऐसे में अमेरिका से तेल लाना दूर की दूरी और ज्यादा ट्रांसपोर्ट खर्च वाला सौदा है। इसलिए पूरी तरह अमेरिकी तेल पर निर्भर होना संभव नहीं है।

अगर रूस से तेल बंद हुआ तो क्या होगा?


  • अगर भारत रूस से तेल खरीदना रोक दे तो तेल के दाम $100 प्रति बैरल तक जा सकते हैं।
  • वैश्विक महंगाई बढ़ जाएगी।
  • भारत को पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं।
  • यह भारत की महंगाई नियंत्रण नीति को झटका देगा।



याद रहे, पिछले कुछ सालों में भारत ने रूसी तेल से सस्ते दामों पर पेट्रोल-डीज़ल बनाकर महँगाई को काबू में रखा है।


मिडिल ईस्ट, अमेरिका, अफ्रीका या लैटिन अमेरिका से थोड़ा-थोड़ा तेल लेकर भारत धीरे-धीरे अपने तेल के सोर्स को बढ़ा रहा है। लेकिन रूस जैसा सस्ता और रिफाइनरी-फ्रेंडली तेल किसी और के पास फिलहाल नहीं है।

इसलिए ट्रंप का बयान राजनीतिक बयान ज्यादा लगता है, वास्तविकता कम। भारत की ऊर्जा नीति हमेशा \“भारत-प्रथम\“ रही है और वही आगे भी बनी रहेगी!
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
67085