जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। गुरुवार को उड़़ान भरने से पहले ही रनवे से उतर कर अनियंत्रित चार्टर्ड प्लेन झाड़ियों में घुस गया था। इस घटना के दूसरे दिन नागरिक उड्डययन महानिदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर और जेट सर्विस एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने घटनास्थल पर हवाई पट्टी और दुर्घटनाग्रस्त विमान का निरीक्षण किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उसके बाद जेट सर्विस एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने कहा कि उक्त हवाई पट्टी विमान लैडिंग व टेक आफ के लायक नहीं है। ऐसी स्थिति में उड्डयन विभाग को इस पर विमान उतारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। हालांकि महानिदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर ने यहां कुछ भी बताने से मना कर दिया।
अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी ने कहा कि हवाई पट्टी का दस से रिन्युवल नहीं हुआ है। हालांकि यह काम उड्डययन विभाग का है, लेकिन तीन माह पहले टीम आई थी तब किसी ने हवाई पट्टी के बारे में कोई आपत्ति नहीं की थी। प्रशिक्षु विमान यहां अक्सर उतरते रहते हैं, लेकिन कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।
विगत गुरुवार को सुबह 10:30 बजे सकवाई स्थित राजकीय हवाई पट्टी पर उड़ान भरने से पहले जेट सर्विस एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का चार्टर्ड प्लेन रनवे से उतरकर झाड़ियों में घुस गया और चहारदीवारी से टकराने से बच गया। यह आठ सीटर प्लेन खिमसेपुर के औद्योगिक क्षेत्र में 570 करोड़ रुपये की लागत से वुड पैकर ग्रीन एग्री न्यूट्रीशियन प्राइवेट लिमिटेड के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अजय अरोड़ा, भारतीय स्टेट बैंक भोपाल के हेड सुमित शर्मा, राकेश टीकू, यूपी प्रोजेक्ट हेड मनीष कुमार पांडेय भोपाल जा रहा था।
हादसे के बाद पायलट कैप्टन नसीब बामल, कैप्टन प्रतीक फर्नांडिस के अलावा उक्त सभी लोग सुरक्षित बाहर आ गए थे। इस मामले में शुक्रवार को जांच के लिए नागरिक उड्डययन महानिदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर अपनी टीम, जेट सर्विस एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर डा. राजीव श्रीधर व टेक्नीशियन संजीव कुमार ने टीम के साथ हवाई पट्टी के रनवे और दुर्घटनाग्रस्त प्लेन का निरीक्षण किया।
नागरिक उड्डययन व जेट एविएशन की टीम एक दूसरे पर आरोप लगाती दिखी। डा. राजीव श्रीधर ने बताया कि हवाई पट्टी पर सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। रनवे की गिट्टी उखड़ी है, जिस कारण विमान के पहिए रनवे पर पकड़ नहीं बना पाते हैं। रनवे के दोनों तरफ झाड़ियां व घास खड़ी हैं। चहारदीवारी भी नजदीक है। यह हवाई पट्टी विमान लैंडिंग व टेक आफ करने के नायक नहीं है।ऐसी स्थिति में उड्डयन विभाग को विमान उतारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि कई विमानों के विंग नीचे और कई विमानों के विंग ऊपर हाेते हैं। रनवे के पास खड़ी झाड़ियों से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ट्रेनी विमान भी जान जोखिम में डालकर लैडिंग करते होंगे। विमान मेंटीनेंस के बारे में पूछने पर बताया कि अभी जांच चल रही है।
बीमा कंपनी के लोग निरीक्षण करेंगे। उसके बाद विमान रिपेयर लायक होगा तो यहीं होगा। विमान में क्षति के आंकलन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। रनवे पर जेट लैडिंग की अनुमति के बारे में पूछने पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि यह बात दिल्ली से पूछिए, वह हर जवाब नहीं दे सकते। इस दौरान भीड़ को गेट पर ही रोक दिया गया।
करीब दो से तीन महीने पहले विमानन विभाग के अधिकारी निरीक्षण के लिए आए थे। उस दौरान किसी ने झाड़ियों या किसी अन्य खामी की बात नहीं उठाई थी। हवाई पट्टी का रिन्युअल पिछले दस से बारह साल से नहीं हुआ है, लेकिन यह काम पीडब्ल्यूडी का नहीं बल्कि एविएशन विभाग का है। पीडब्ल्यूडी केवल सामान्य मेंटेनेंस और रिपेयर करता है, जबकि हवाई पट्टी का नवीनीकरण विमानन विभाग के मानकों के अनुसार होता है। इससे पहले कानपुर की गर्ग एविएशन कंपनी के छोटे ट्रेनिंग विमान और हेलीकाप्टर इसी हवाई पट्टी पर सुरक्षित उतरते रहे हैं। अगर रनवे पर झाड़ियां होतीं या स्थिति खराब होती, तो इतने समय में किसी अन्य विमान को कोई दिक्कत क्यों नहीं हुई।
-मुरलीधर, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी। |