रेबीज का खतरा, कुत्ते-बंदरों के काटते ही वैक्सीन जरूरी।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। छर्रा के निजी अस्पताल में 11 अप्रैल 2025 को तीन साल के बच्चे की रेबीज के कारण मृत्यु हो गई। उसे 45 दिन पूर्व कुत्ते ने काटा था। स्वजन ने उसका उपचार नहीं कराया, जिससे उसे हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) हो गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अगस्त 2025 गौंडा ब्लाक के गांव नीबरी की महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसे रेबीज हुआ था। महिला के बाएं पैर में 27 जुलाई 2025 को कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद एंटी रेबीज वैक्सीन भी लगवाई। आगरा और दिल्ली में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
छह वर्ष पूर्व भुजपुरा के एक युवक की रेबीज के कारण मृत्यु हो गई। सवाल उठता है कि क्या रेबीज की वैक्सीन लेने के बावजूद रेबीज इन्फेक्शन हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, समय से वैक्सीन न लेने या अन्य लापरवाही से भी रेबीज का खतरा बना रहता है।
जनपद में कुत्ते, बंदर, बिल्ली व अन्य जानवरों के काटने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं। जनवरी से अगस्त तक ही 86 हजार 180 मरीज सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे। इनमें कुत्ते काटे के 74 हजार 289, बंदर काटे के नौ हजार 38, बिल्ली काटे के एक हजार 755 व एक हजार 98 अन्य मरीज रहे।
प्रत्येक मरीज को लक्षण के आधार पर एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) व गंभीर हमले वाले मरीजों को रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (आरआइजी) वैक्सीन दी गई। जिला अस्पताल में रोजाना 200-225 व दीनदयाल चिकित्सालय में 150-175 नए-पुराने मरीज वैक्सीन लगवाने आते हैं। muzaffarpur-general,Muzaffarpur News,Muzaffarpur Latest News,Muzaffarpur News in Hindi,Muzaffarpur Samachar,Muzaffarpur News,Muzaffarpur Latest News,Muzaffarpur News in Hindi,Muzaffarpur Samachar,Zero Mile Muzaffarpur,Traffic Fine Dispute,Auto Driver Protest,Ahiaapur Police,Road Blockage Muzaffarpur,Muzaffarpur Traffic,Bihar news
एक मरीज को चार तक वैक्सीन लगाई जाती हैं। मरीजों को रेबीज का खतरा बना रहता है, जिसका कोई उपचार नहीं है। केवल आगरा और दिल्ली में ऐसा संक्रमित मरीजों को रखने की व्यवस्था है। वायरस के दिमाग में पहुंचने पर जान बचना मुश्किल रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो जानवरों के काटने या लार के संपर्क में आने से फैलती है।
यह बीमारी मुख्य रूप से कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों व अन्य जंगली जानवरों से फैल सकती है। यह वायरस दिमाग में पहुंचकर लक्षण दिखाना शुरू करता है, अगर वायरस दिमाग तक पहुंच जाए तो रेबीज से बचना असंभव हो जाता है।
रेबीज के लक्षण स्वास्थ्य विभाग के महामारी रोग विशेषज्ञ डा. शुएब अंसारी ने बताया कि रेबीज के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, काटी हुई जगह पर खुजली, दर्द या झुनझुनी, बलगम, गले में खराश, मितली या उल्टी, डायरिया है।
न्यूरोलाजिकल स्टेज में पहुंचने पर मरीज को बेचैनी, हेलुसिनेशन (मति भ्रम-जिसमें व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखती या महसूस होती हैं, जो वास्तव में होती नहीं), हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना), ज्यादा लार आना, निगलने में कठिनाई, मांसपेशियों में ऐंठन, हिंसक व्यवहार, कोमा में जाने, लकवा जैसी समस्या हो सकती है।
रेबीज का वायरस धीरे-धीरे नर्वस सिस्टम पर असर डालते हुए दिमाग तक पहुंचता है। लक्षण दिखने में कई सप्ताह और महीने लग सकते हैं।
कुत्ता काटने पर तात्कालिक उपचार
- घाव को बहते पानी में 15 मिनट तक साबुन से धोएं।
- अगर घाव गहरा है, तो पानी की तेज धारा का इस्तेमाल करें।
- एंटीसेप्टिक जैसे बेटाडाइन या अल्कोहल लगाकर घाव को संक्रमणरहित करें।
- काटने पर जितना जल्दी हो सके (24 से 72 घंटों में) वैक्सीन लगवाएं।
- घाव अधिक गहरा हो तो आरआइजी लगवाएं।
- टिटनेस का टीका भी लगा सकते हैं।
वैक्सीन के बाद भी रेबीज के कारण -
- टीका समय पर नहीं लगना।
- गहरा जख्म होने पर आरआइजी न लगना।
- टीके की पूरी डोज न लगवाना।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता।
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