हरियाणा में दुर्घटनाओं के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा (प्रतीकात्मक फोटो)
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन कराने की तैयारी है। प्रत्येक दुर्घटना के पीछे सड़क की स्थिति, ओवरस्पीडिंग, बेसहारा पशु अथवा अन्य संभावित कारणों की गहराई से जांच की जाएगी, ताकि इन खामियों को दूर कर दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शहरी क्षेत्रों में मुख्य मार्गों के साथ साइकिल ट्रैक और फुटपाथ बनाने के साथ ही संवदेनशील स्थानों पर पैदल पार पथ बनाने की योजना है। फुटपाथों का सुरक्षा आडिट कराया जाएगा, जिसकी शुरुआत गुरुग्राम-फरीदाबाद जैसे शहरों से होगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में प्रतिदिन तीन पैदल यात्रियों और हर दूसरे दिन एक साइकिल यात्री को जान गंवानी पड़ती है। सड़क दुर्घटनाओं में हर साल औसतन 1200 पैदल यात्री और करीब 200 साइकिल चालक मारे जाते हैं। पिछले साल प्रदेश में 9806 सडक़ हादसे हुए, जिनमें 4689 लोगों की मौत हुई और 7914 लोग घायल हुए। इससे पहले वर्ष 2023 में 10 हजार 463 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 4968 मौतें हुईं और 7914 लोग घायल हो गए।
इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिछले दिनों हुई उच्च स्तरीय बैठक में सड़कों को सुरक्षित बनाने और पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही प्रभावी शिकायत तंत्र विकसित करने और नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं। योजना के मुताबिक शहरों में अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों यथा बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, धार्मिक संस्थाओं और शैक्षणिक संस्थाओं के पास फुटपाथ का आडिट किया जाएगा, जहां ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। फिर फुटपाथों की कमियों को चिह्नित करके उन्हें दूर किया जाएगा।
फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाएगा, ताकि पैदल यात्रियों को सड़काें पर न चलना पड़े। फुटपाथ पर अतिक्रमण रोकने के लिए शिकायत तंत्र विकसित करने की तैयारी है, जिस पर मिली शिकायतों का तुरंत निवारण किया जाएगा। कई जगह लोग फुट ओवर ब्रिज व भूमिगत पैदल पार पथ होने पर भी इनका उपयोग नहीं करते। इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। रोड डिवाइडर ऐसे लगाए जाएंगे कि पैदल यात्री सड़क पार करने के लिए सिर्फ चिह्नित क्रासिंग का इस्तेमाल करें।
इसके अलावा सभी साइकिल ट्रैक का सौंदर्यीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि साइकिल सवार मुख्य सड़क पर न आकर निर्धारित रास्ते पर ही चलें।
वहीं, सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त चालक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आइटीडीआर) का विस्तार किया जा रहा है। इन संस्थानों का उद्देश्य सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं को बढ़ावा देना, पेशेवर चालकों को प्रशिक्षित करना और यातायात प्रबंधन से जुड़े अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
वर्तमान में बहादुरगढ़, रोहतक, कैथल और करनाल में चार आईटीडीआर संचालित हैं, जबकि नूंह, फरीदाबाद और भिवानी में तीन नए आइटीडीआर की स्थापना की प्रक्रिया जारी है। साथ ही क्षेत्रीय चालक प्रशिक्षण केंद्र (आरडीटीसी) के तहत गुरुग्राम में एक क्षेत्रीय चालक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना पर भी तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है।
परिवहन मंत्री अनिल विज ने लेन ड्राइविंग पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि गलत लेन में गाड़ी चलाना सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह है। इसको लेकर विज खुद सड़कों पर उतरकर पूर्व में अभियान चला चुके हैं। इसके अलावा वाहनों में तेज सफेद लाइट और अवैध रूप से नीली-लाल बत्ती और हूटर लगा कर चलने वालों से भी सख्ती से निपटा जाएगा। परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस और स्थानीय निकाय विभाग मिलकर अनुशासित ड्राइविंग सुनिश्चित करेंगे। लेन ड्राइविंग का उल्लंघन करने का रियल टाइम डैशबोर्ड बनाया जा सकता है।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक परिवहन के सभी वाहनों में वाहन स्थान ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) लगाए जाएंगे। इस प्रणाली को आपातकालीन प्रणाली 112 सेवा के साथ एकीकरण भी किया जाएगा। स्कूली वाहनों की फिटनेस के लिए नियमित जांच के साथ ही तकनीकी स्थिति पर भी फोकस रहेगा। बार-बार निर्देशों का उल्लंघन करने वाली बसों का न केवल चालान होगा, बल्कि इन्हें भी जब्त किया जा सकता है। नियमित अंतराल पर रोडवेज ड्राइवरों से मेडिकल सर्टिफिकेट लिया जाएगा। |