जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। टेलीग्राम पर निवेश योजनाओं में मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए मध्य जिला साइबर सेल ने बैंक अधिकारी समेत पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार बैंक अधिकारी कर्नाटक बैंक में कार्यरत था। उस पर आरोप है कि उसने खाता खोलने के लिए नियमों की अनदेखी की और फर्जी खाता खोलने के एवज में जालसाजों से कमीशन ली। पुलिस एक अन्य भागे हुए बैंक कर्मचारी की तलाश कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जांच में 250 से ज्यादा नकली खाते और 50 फर्जी कंपनियों की पहचान हुई है। पुलिस ने इनके कब्जे से 14 सिम कार्ड, चार मोबाइल फोन, दो लैपटाप, 17 कंपनी सील, 11 डेबिट कार्ड, जाली पहचान पत्र और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए हैं।
उपायुक्त निधिन वल्सन के मुताबिक, जिला के साइबर सेल को एक शिकायतकर्ता ने टेलीग्राम के जरिए कंपनियों में निवेश का झांसा देकर 4.80 लाख की ठगी करने की शिकायत की थी।
उन्होंने बताया कि इसी वर्ष मार्च में खुद को ललिता बताने वाली एक महिला ने टेलीग्राम पर उनसे संपर्क किया और एक धोखाधड़ी वाला निवेश लिंक साझा किया। शुरुआत में उसका विश्वास जीतने के लिए उसके खाते में छोटे-छोटे रिटर्न जमा दिखाए गए।
बाद में उस पर बड़ी रकम निवेश करने का दबाव डाला गया। उन्होंने 4.80 लाख कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद जालसाजों ने उन्हें ब्लाक कर दिया।
साइबर सेल ने मामला दर्ज कर निरीक्षक संदीप पंवार के नेतृत्व में जांच शुरू की। बैंक खातों की जांच में पता चला कि ठगी की रकम कर्नाटक बैंक के एजे टेक्नोलॉजी के नाम से खुले खाते में ट्रांसफर की गई थी।
पुलिस ने खाता के मालिक अजय कुमार के प्रेम नगर किराड़ी के पते पर छापा मारा, लेकिन पता चला कि खाता जाली दस्तावेजों से खोला गया था। तकनीकी जांच कर पुलिस ने उसके असली मालिक किराड़ी के राहुल कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
उसने बताया कि वह फर्जी पैन और आधार का इस्तेमाल कर खाता खोला था। उसने यह भी बताया कि वह जालसाजों को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करता था और ऐसे एजेंटों के साथ काम करता था जो आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले खाते खुलवाते थे।
खाते की जांच में पता चला कि एजे टेक्नोलाॅजी खाते से केवल दो महीनों के भीतर लगभग 2.5 करोड़ के लेनदेन किए गए। नेशनल क्राइम पोर्टल में इस खाते के खिलाफ पूरे भारत में 14 शिकायतें दर्ज की गई हैं।
राहुल ने बताया कि उनके व्यावसायिक साझेदार और साइबर कैफे मालिक किराड़ी के अजय शर्मा ने फर्जी केवाईसी सत्यापन और फर्जी बैंक खाते खोलने के लिए जाली आइडी बनाने में मदद की। पुलिस ने अजय को भी गिरफ्तार कर लिया।
जांच में पता चला कि इन्हें फर्जीवाड़ा किराड़ी के सोनू कुमार ने सिखाया था, जो स्केटिंग प्रशिक्षक है और अपने सीए दोस्तों से जीएसटी फाइलिंग भी सीखा है। सोनू को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने फर्जी केवाईसी हासिल करने, म्यूल खाते बनाने वाले किराड़ी के कुणाल सागर नाम के एजेंट को गिरफ्तार कर लिया।
वह अमित वाधवा के निर्देश पर खाता संचालन का प्रबंधन करता था। कुणाल ने कर्नाटक बैंक की आरके पुरम शाखा में कम से कम 23 म्यूल खाते खोले थे। जांच के दौरान पुलिस को 250 फर्जी बैंक खाते और 50 से अधिक फर्माें का पता चला।
जांच में कुछ बैंक कर्मचारियों की सक्रिय मिलीभगत का पता चला। जिन्होंने जानबूझकर आरबीआई और बैंक के केवाईसी मानदंडों की अनदेखी करके फर्जी खाते खोलने और उनके संचालन में मदद की।
बैंक अधिकारियों ने बिना पहचान सत्यापन के खोले खाते
जांच में पता चला कि मूल पहचान सत्यापन के बिना ही खाते खोले गए। आधार ओटीपी और बायोमेट्रिक सत्यापन को नजर अंदाज किया गया। बैंक की ओर से व्यक्तिगत सत्यापन नहीं किया गया। बैंकरों ने आरोपियों की मदद के लिए 1.9 फीसदी कमीशन लिया।
जांच में यह भी पता चला कि कुछ बैंक अधिकारियों ने जालसाजों को शिकायतों की जानकारी भी दी। फर्जी खातों को छुपाया और आर्थिक लाभ के लिए गोपनीय डेटा साझा किया।
इन सब साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस ने कर्नाटक बैंक (आरके पुरम शाखा) के एक अधिकारी सफदरजंग एन्क्लेव के मोहित दाधीच को गिरफ्तार कर लिया। जबकि एक अन्य अधिकारी अभिषेक फरार है। इसमें शामिल अन्य कर्मचारियों का पता लगाने और उनकी पहचान करने के प्रयास जारी हैं।
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