हाई कोर्ट के फैसले के बाद कीमती सामान पर सीमा शुल्क या जुर्माने से मिल सकती है राहत
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला आईजीआई एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम अधिकारियों के लिए नई लकीर खींच रहा है। कोर्ट के नए फैसले के बाद कस्टम अधिकारियों को अब विदेश से लौटे यात्रियों के घोषित कीमती सामान के बारे में कोई निर्णय लेने से पहले यह स्पष्ट तय करना होगा कि बरामद कीमती सामान यात्री के व्यक्तिगत उपयोग के लिए है या यात्री ने इसे व्यावसायिक इरादे से खरीदा है। यदि सामान व्यक्तिगत उपयोग के लिए है और यात्री ने इसकी जानकारी कस्टम को दे दी है तो इसके लिए यात्री को कोई शुल्क अदा नहीं करना पड़ेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कस्टम को देनी होगी जानकारी
कीमती घड़ी या इलेक्ट्राॅनिक गजेट्स यदि आप विदेश से खरीदकर स्वदेश लौट रहे हैं तो आपके लिए यह खबर निश्चित तौर पर उपयोगी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कस्टम से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी यात्री की पहनी गई रोलेक्स घड़ी या कोई भी महंगा व्यक्तिगत सामान को केवल उसके ऊंचे मूल्य के आधार पर व्यावसायिक मात्रा (कामर्शियल क्वांटिटी) नहीं माना जा सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप विदेश में अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी गई कीमती वस्तु की जानकारी कस्टम को दिए बिना सीधे ग्रीन चैनल पार कर लें। ऐसा कतई न करें, विदेश में खरीदे गए कीमती सामान की जानकारी कस्टम को अवश्य दें।
यह था मामला
यह मामला पिछले वर्ष दुबई से लौटे एक यात्री से जुड़ा है। यात्री जब आइजीआइ एयरपोर्ट पर पहुंचे तो कस्टम अधिकारियों ने उनकी 13.48 लाख रुपये कीमत वाली रोलेक्स घड़ी जब्त कर ली। यात्री पर आरोप लगाया गया कि उसने घड़ी की जानकारी डिक्लेरेशन फार्म में दिए बगैर ग्रीन चैनल से निकलने की कोशिश की थी। कस्टम ने जब्त की गई घड़ी को कामर्शियल क्वांटिटी मानते हुए कहा कि इतनी महंगी वस्तु व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं हो सकती। कस्टम ने 1.8 लाख रुपये का जुर्माना भरकर घड़ी को भारत से बाहर ले जाने की अनुमति दी थी, लेकिन इस आदेश को यात्री ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
आदेश को सही ठहराया
हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 17 सितंबर को अपने फैसले में कस्टम विभाग के तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि एक रोलेक्स घड़ी को व्यावसायिक मात्रा नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी सामान का केवल महंगा होना यह साबित नहीं करता कि उसे बेचने के इरादे से लाया गया है। कोर्ट ने इस बात को बरकरार रखा कि यात्री की ओर से घड़ी को घोषित न करना कस्टम नियमों का उल्लंघन था। इसलिए, कोर्ट ने जुर्माना भरने के आदेश को सही ठहराया।
फैसले के मायने
यह फैसला विदेश से महंगे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स, आभूषण या लग्जरी सामान लाने वाले सभी यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सबक है। कस्टम अधिकारियों को अब व्यक्तिगत उपयोग और व्यावसायिक आयात के बीच अंतर करते समय अधिक विवेक का उपयोग करना होगा। यह फैसला इस बात की पुष्टि करता है कि यदि आपके सामान का मूल्य ड्यूटी-फ्री सीमा (आमतौर पर 50,000 रुपये) से अधिक है तो उसे एयरपोर्ट पर रेड चैनल पर घोषित करना अनिवार्य है। यदि आप घोषणा नहीं करते हैं तो आपका सामान जब्त हो सकता है और आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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