deltin33                                        • 2025-10-7 08:05:58                                                                                        •                views 1054                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
   वन भूमि से हटेंगे अवैध अतिक्रमण। फाइल फोटो  
 
  
 
  
 
 सुधीर तंवर,  चंडीगढ़। वन भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब हरियाणा में वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का अभियान गति पकड़ने वाला है। अवैध कब्जों की पहचान करने के लिए जल्द सर्वे शुरू होगा, जिसकी कमान फारेस्ट सेटलमेंट अधिकारियों (एफएसओ) को सौंपी गई है। तमाम विवादों को सुलझाने की जिम्मेदारी भी इनकी ही होगी।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
  
 
 अगर भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में संभव नहीं हुआ तो भूमि की कीमत कब्जाधारी से वसूल की जाएगी। पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।   
 
 रिपोर्ट के मुताबिक अरावली की पहाड़ियों में गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़-नारनौल और भिवानी तथा शिवालिक की पहाड़ियों में पंचकूला और यमुनानगर जिले में हजारों एकड़ वन भूमि पर अतिक्रमण है।   
 
  
 
 सुप्रीम कोर्ट ने 20 जून को दिए आदेश में साफ कहा कि एक साल के अंदर वन भूमि पर निर्मित सभी अनधिकृत संरचनाओं की पहचान कर अतिक्रमण को हटाया जाए। साथ ही अनुसूचित भूमि को आरक्षित वन के रूप में अधिसूचित करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है।  प्रदेश सरकार ने सभी एफएसओ को निर्धारित समय सीमा के भीतर वन भूमि के सर्वेक्षण, सीमांकन और विवादों के निपटान का काम पूरा करने को कहा है।   
 
  
 
 हालांकि एफएसओ को भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा पहले से निर्धारित वन सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं होगा। सर्वेक्षण और सीमांकन कार्य करते समय संदर्भ मानचित्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा तैयार किए गए भू-संदर्भित मानचित्र होंगे। एफएसओ को वन अधिकारों से संबंधित मुकदमों की सुनवाई में सिविल न्यायालय की शक्तियां दी गई हैं।   
 
  
 
 किसी भी वन क्षेत्र (निजी या सरकारी) में केंद्र सरकार की पूर्व सहमति के बिना गैर-वानिकी उद्देश्य के लिए वनों की कटाई नहीं की जा सकती।   
 पांच हेक्टेयर से कम जमीन पर खड़े पेड़ों को नहीं माना जाएगा वन   
 
 वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के अभियान के बीच प्रदेश सरकार ने राहत भी दी है। अधिसूचित वन से अलग पांच हेक्टेयर से कम जमीन पर खड़े पेड़-पौधों और झाड़ियों को वन नहीं माना जाएगा।   
 
  
 
 अधिसूचित वनों से सटे क्षेत्र के मामले में वन के लिए न्यूनतम दो हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए। वनस्पति छत्र घनत्व (पेड़ों के छत्र या पत्तों के फैलाव की सघनता) 0.4 या इससे अधिक होना चाहिए।   
 
 सरकार द्वारा अधिसूचित वनों के बाहर स्थित सभी रेखीय/सघन/कृषि-वानिकी/वृक्षारोपण एवं बाग-बगीचों को भी वन नहीं माना जाएगा।   
 
  
 चार साल में बढ़ा 12.26 वर्ग किमी वन क्षेत्र   
 
 भारत राज्य वन रिपोर्ट (आइएसएफआर) -2019 के अनुसार हरियाणा का वन क्षेत्र 1,602 वर्ग किलोमीटर था, जो 2023 में बढ़कर 1,614.26 वर्ग किलोमीटर हो गया।   
 
  
 
 यानी चार साल में वन क्षेत्र में सिर्फ 12.26 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। पिछले दस साल की बात करें तो वर्ष 2013 और 2023 के बीच हरियाणा में वन क्षेत्र में 30.88 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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