मासूम के शव को थैले में लेकर जाते माता-पिता और झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी।
जागरण संवाददाता, जामताड़ा। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित सदर अस्पताल से एक हृदयविदारक तस्वीर (Shocking Image from Chaibasa Forces Govt Action) सामने आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। नवामुंडी प्रखंड के बाद बालजोड़ी गांव निवासी डिंबा चितोंबा अपने चार माह के मासूम बेटे के इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे। इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शव को घर ले जाने के लिए परिजन एंबुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन सुविधा नहीं मिलने पर विवश पिता बच्चे का शव थैले में लेकर घर लौटे। इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि राज्य के सभी जिलों के सदर अस्पतालों (Irfan Ansari Orders Purchase of Mortuary Vehicles) में अनिवार्य रूप से चार-चार मोक्ष वाहन (मोर्चरी वाहन) उपलब्ध कराए जाएं।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि एक माह के भीतर सभी जिलों में मोक्ष वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस योजना के तहत लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से सभी सरकारी अस्पतालों को मोक्ष वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि किसी भी परिवार को दुख की घड़ी में अपमानजनक या अमानवीय स्थिति का सामना न करना पड़े।
स्वास्थ्य मंत्री ने चाईबासा प्रकरण पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इस घटना को कुछ माध्यमों में तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया। बच्चा चार माह का था, जबकि कुछ जगह चार साल बताया गया, जो भ्रामक है।
उन्होंने कहा कि मौके पर दो मोक्ष वाहन उपलब्ध थे, जिनमें एक तकनीकी कारण से खराब था और दूसरा पहुंचने ही वाला था। परिजन एंबुलेंस का इंतजार किए बिना स्वयं शव लेकर चले गए। मंत्री ने कहा कि 108 एंबुलेंस सेवा मरीजों के लिए होती है, जबकि मोर्चरी वाहन अलग व्यवस्था के तहत संचालित होते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल और असामाजिक तत्व जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक सशक्त, संवेदनशील और जवाबदेह बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है और मोक्ष वाहन योजना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। |