वाराणसी में महिलाओं ने एकजुट होकर पीड़ितों के लिए न्याय की गुहार लगाई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक हिन्दू को जिन्दा जलाने की घटना ने एक बार फिर से धार्मिक कट्टरता की गंभीरता को उजागर किया है। इस घटना के बाद वाराणसी में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउंडेशन की महिलाओं, बच्चों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसपर आक्रोश जताते हुए प्रदर्शन किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन संगठनों ने लमही के सुभाष भवन से प्रेमचंद स्मृति द्वार तक एक आक्रोश मार्च निकाला, जिसमें बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मो. यूनुस का पुतला फूंका गया। इस दौरान नारे लगाए गए, “बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालो, इनके समर्थकों को जेल में डालो।“ इस मार्च में शामिल लोगों ने मो. यूनुस को “हत्यारा“ करार देते हुए बांग्लादेश की सहायता को सांप को दूध पिलाने के समान बताया।
डॉ. नजमा परवीन ने इस अवसर पर कहा कि अब समय आ गया है कि मुसलमान कट्टरपंथियों के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि बांग्लादेश के कट्टरपंथियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार राज्य प्रायोजित है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि मो. यूनुस, जो शांति के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, अब मानवता के गुनहगार बन चुके हैं। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार को बांग्लादेश के कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि भारत को बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस देश ने भारत को आजादी दिलाई, वही आज भारत को तोड़ने की बात कर रहा है।
कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ यह आक्रोश मार्च एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा की मांग करता है, बल्कि कट्टरपंथियों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक भी है। बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की यह स्थिति न केवल वहां के अल्पसंख्यकों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए चिंता का विषय है।
इस मार्च में शामिल अन्य नेताओं ने भी कट्टरपंथियों के खिलाफ आवाज उठाई। डॉ. अर्चना भारतवंशी ने कहा कि बांग्लादेश अब पाकिस्तान के रास्ते पर चल रहा है और इसे समाप्त करना आवश्यक है। इस अवसर पर डॉ. मृदुला जायसवाल, सत्यम राय, वीरेन्द्र राय, पूनम देवी, सुनीता, रमता, नगीना, मैना, अर्चना, अंजू, रीता, ममता, किशुना, गीता, बेचना, धनेसरा, सरोज, खुशी, उजाला, दक्षिता आदि मौजूद रहे। |