PMCH के स्किन विभाग में मशीनें कबाड़
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के त्वचा रोग विभाग में रखी गई कई उन्नत मशीनें महीनों से खराब है। इससे इलाज के लिए आने वाले सैकड़ों मरीजों को बाहर के निजी केंद्रों में महंगी जांच और उपचार कराना पड़ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गरीब और दूरदराज से आने वाले मरीजों को सबसे अधिक आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से विभाग में आइपीएल, एनडी याग और आयेंटो फोरेसिस समेत कई आधुनिक मशीनें खरीदी गई थी।
विभाग के अनुसार, आइपीएल मशीन लगभग निष्क्रिय हो चुकी है, जबकि एनडी याग और आयेंटो फोरेसिस मशीनें पिछले छह महीनों से खराब है। बीच-बीच में एनडी याग मशीन की मरम्मत भी कराई गई, लेकिन वह लगातार सही ढंग से काम नहीं कर रही।
अत्याधुनिक उपकरणों की सप्लाई की प्रक्रिया जारी
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने बताया कि कई मशीनें पुरानी हो चुकी हैं और अपने लाइफ-स्पैन के अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा कि नए भवन में बीएमएसआईसीएल द्वारा बड़ी संख्या में अत्याधुनिक उपकरणों की सप्लाई की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही नई मशीनें उपलब्ध होंगी, जिससे मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
हर सप्ताह लौट रहे मरीज
त्वचा विभाग में प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज परामर्श के लिए आते हैं, लेकिन जांच और विशेष उपचार के लिए उन्हें निजी केंद्रों का रुख करना पड़ता है। विभाग में लेजर प्रक्रिया सप्ताह में दो दिन बुधवार और शुक्रवार को की जाती है। मशीनों की कमी के कारण यहां पर लगातार वेटिंग चल रही है।
लोहानीपुर निवासी रवि कुमार ने बताया कि वे अपनी पत्नी का लहसन हटाने के लिए पीएमसीएच आए थे, लेकिन उन्हें मशीन खराब होने की जानकारी देकर वापस भेज दिया गया।
वहीं रंजय कुमार ने कहा कि हथेलियों में अत्यधिक पसीना आने की समस्या के इलाज के लिए आए थे, परंतु डॉक्टरों ने बताया कि हीट थेरेपी (सेकाई) वाली मशीन ही महीनों से काम नहीं कर रही।
राजधानी के एक प्रमुख कॉलेज की छात्रा रिया ने बताया कि उसे टैटू को हटाना था, इसके लिए वह अस्पताल आई थी, लेकिन निजी अस्पताल में जाने को कहा गया।मरीजों में नाराजगी बढ़ी
चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित
लगातार खराब मशीनों और जांच में देरी के कारण मरीजों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर उपकरणों की मरम्मत और अपग्रेड न होने से चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
मरीज उम्मीद कर रहे हैं कि नई मशीनों की आपूर्ति जल्द हो, ताकि सरकारी अस्पताल में उन्हें फिर से किफायती और गुणवत्तापूर्ण उपचार मिल सके। |