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UP: बिजली उपभोक्ताओं के हित में बड़ा निर्णय, उत्तर प्रदेश में लगातार छठे वर्ष नहीं बढ़ीं बिजली दरें

deltin33 3 day(s) ago views 711

  

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड



राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने शनिवार को प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के हित में बड़ा निर्णय किया है। लगातार छठवें वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है। राज्य में बिजली की दरें अंतिम बार वित्तीय वर्ष 2019-20 में बढ़ी थीं। आयोग ने नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) में भी बिजली की दरें यथावत रखने का आदेश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) और बिजली दरों पर सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया था। तर्क दिया था कि बिजली कंपनियों को 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।

सुनवाई के दौरान राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आयोग की बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव का तर्कसंगत विरोध किया था। जिसमें कहा गया था कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। ऐसे में बिजली की दरें कम की जानी चाहिए। इस वर्ष भी उपभोक्ताओं का लगभग 18,592 करोड़ रुपये सरप्लस निकला है। अब सरप्लस धनराशि बढ़कर 51,714 करोड़ रुपये हो गई है। नोएडा पावर कंपनी की बिजली दरें भी यथावत रखने के साथ ही उपभोक्ताओं को दी जा रही 10 प्रतिशत छूट आगे भी जारी रहेगी।

वितरण हानि को 2029-30 तक घटाकर 10.7% करने का आदेश

नियामक आयोग ने यूपीपीसीएल की कुल वितरण हानियां जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में 13.78 प्रतिशत थीं उसे वित्तीय वर्ष 2029-30 में घटाकर 10.7 प्रतिशत करने का आदेश दिया है। अब सभी उपभोक्ता ग्रीन एनर्जी टैरिफ का फायदा पाएंगे। एचवी कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए ग्रीन एनर्जी टैरिफ 0.36 रुपये प्रति यूनिट से घटाकर 0.34 रुपये प्रति यूनिट कर दिया है। एलवी कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए इस दर को 0.17 रुपये प्रति यूनिट तय किया गया है। पावर कारपोरेशन को सिक्योरिटी डिपाजिट पर दिए गए ब्याज से काटे गए इनकम टैक्स के योग्य कैटेगरी के उपभोक्ताओं को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया गया है। नियामक आयोग मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और टाउनशिप से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए एक अलग कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा।
आयोग ने पांच राज्य डिस्काम के एआरआर को मंजूरी देते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 163,778.24 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद के लिए 1,10,993.33 करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व आवश्यकता को मंजूरी दी है। बिजली कंपनियों ने 164,592.49 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद के लिए 1,12,865.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दाखिल किया था। इसके साथ ही बिजली कंपनियों द्वारा दावा किए गए 13.77 प्रतिशत वितरण घाटे की जगह 13.35 प्रतिशत वितरण घाटे को मंजूरी दी है। राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले सब्सिडी के लिए 17,100 करोड़ रुपये मंजूर किया गया है। आयोग ने उपभोक्ताओं द्वारा दिए जाने वाले 86,183.29 करोड़ रुपये राजस्व को मंजूरी दी है। इससे यूपीपीसीएल व अन्य कंपनियों को 1,03,283.29 करोड़ रुपये राजस्व मिलेगा। जिससे इस वित्तीय वर्ष में 7,710.04 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी गैप होगा।
लाइफलाइन उपभोक्ता और निजी नलकूप पर रहेगी सब्सिडी
प्रदेश सरकार लाइफ लाइन उपभोक्ता (ग्रामीण और शहरी) रूरल शेड्यूल मीटर्ड घरेलू उपभोक्ता और किसानों के निजी नलकूप को पिछले साल की तरह ही सब्सिडी देती रहेगी। लाइसेंस होर्ल्डस (बिजली कंपनियां) को आयोग ने उन सभी उपभोक्ताओं के पैन डिटेल्स इकट्ठा करने और अपडेट करने के लिए निर्देश दिया है। जिनके सिक्योरिटी डिपाजिट पर दिए जाने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स के प्रविधान के तहत टीडीएस काटा जाना है। आयोग ने आदेश दिया है कि बिजली कंपनियां काटे गए टैक्स को जमा करें और सिक्योरिटी डिपाजिट दिए जाने वाले इंटरेस्ट के भुगतान के समय ऐसे उपभोक्ताओं को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करें।
जिससे उपभोक्ता अपने आनलाइन एकाउंट में लाग इन करके सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सके। मध्यांचल व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए तय वितरण हानियों के लक्ष्य को हासिल किया है। सबसे खराब प्रदर्शन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की रही है।
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