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भारत-अमेरिका के बीच FTA प्रयासों की हो रही सराहना, मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने टैरिफ मुद्दे पर सरकार की प्रशंसा की

cy520520 2025-11-14 04:07:16 views 319

  

भारत-अमेरिका के बीच FTA प्रयासों की हो रही सराहना (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने गुरुवार को अमेरिका के साथ टैरिफ मुद्दे के प्रबंधन के लिए मोदी सरकार की सराहना की और कहा कि अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर हस्ताक्षर करना \“\“सही कदम\“\“ होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन ¨सह के जीवन और विरासत पर व्याख्यान देते हुए आहलूवालिया ने निजी क्षेत्र से युवा लोगों की प्रशासन में लाने के पक्ष में भी बात की, जबकि उन्होंने आधार के परिचय के लिए नंदन नीलकेणी का उदाहरण दिया।
विकसित भारत पर क्या कहा?

आहलूवालिया ने कहा कि \“\“विकसित भारत\“\“ का विचार तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक मानव संसाधनों को उचित तरीके से नहीं संभाला जाता। उन्होंने कहा, \“\“कुछ लोग सरकार की आलोचना करते हैं कि अमेरिका टैरिफ पर सख्त है और हमें भी उसी तरह सख्त होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह सही है। वास्तव में एफटीए पर हस्ताक्षर करने का प्रयास एक बहुत अच्छा कदम है।\“\“

उन्होंने कहा कि नीति को इस तरह से डिजाइन करना महत्वपूर्ण है कि मतभेदों को सौहार्दपूर्वक मिटाया जा सके। आहलूवालिया ने निजी क्षेत्र से \“आधार\“ को देश में लाने के लिए लाए गए नंदन नीलकेणी का उदाहरण देते हुए कहा कि भविष्य में जब हमारे पास एआइ और साइबर सुरक्षा जैसी जटिल चीजें होंगी, तो इसे सामान्य तरीके से नहीं किया जा सकता।

आपको बाहर से अधिक युवा लोगों को लाना चाहिए।\“\“ उन्होंने कहा कि ये सामान्य सुधार नहीं हैं जैसे कि शुल्क और कर दरों को कम करना, बल्कि ये बड़े संस्थागत परिवर्तन हैं।
\“भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने साबित किया कि मनमोहन सिंह को राजनीति करना आता था\“

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के करीबी सहयोगी रहे मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के माध्यम से पूर्व पीएम ने यह साबित किया कि उन्हें तब राजनीति करना आता था जब यह वास्तव में आवश्यक था, भले ही यह समझौता \“\“उचित रूप से सराहा\“\“ नहीं गया है। \“डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और विरासत\“ पर व्याख्यान देते हुए आहलूवालिया ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में वर्तमान सहयोग संभव नहीं होता यदि परमाणु समझौता हस्ताक्षरित नहीं होता।

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