यूपी के इन जिलों में बढ़ते क्रोमियम प्रभावित क्षेत्र से एक्शन में NGT, 25 तक सरकार को देनी होगी रिपोर्ट

Chikheang 2025-11-12 23:37:22 views 852
  



जागरण संवाददाता, कानपुर। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कानपुर नगर, कानपुर देहात और फतेहपुर जिलों में क्रोमियम प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त इंतजाम नहीं होने पर चिंता जताई है। ट्रिब्यूनल नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को प्रभावित क्षेत्रों की पूरी वैज्ञानिक मैपिंग कराने के आदेश दिए हैं, ताकि पानी, मिट्टी और हवा में घुलते खतरनाक तत्वों के स्रोत और असर का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही एनजीटी ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिए हैं। इन सभी कार्यों की निगरानी का जिम्मा मुख्य सचिव को सौंपा गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  


नई दिल्ली स्थित एनजीटी की प्रधान पीठ में बीते सात नवंबर को जाजमऊ, रानियां और राखी मंडी क्षेत्र में जल प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डा. अफरोज अहमद ने की। प्रधान पीठ में शासन की ओर से दाखिल हलफनामे में जानकारी दी गई कि, जनवरी 2020 से अक्टूबर 2025 तक तीन जिलों के प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के खून नमूने लेकर जांच की गई।

  

  

इसमें कानपुर नगर के 514 में से 492, कानपुर देहात के 214 में से 157 और फतेहपुर के 171 में से 147 मरीजों के खून में क्रोमियम का स्तर मानक सीमा से अधिक पाया गया। इसके अलावा मरकरी की मात्रा कानपुर नगर के 12 और फतेहपुर के चार लोगों में अधिक पाई गई। एनजीटी ने इसे जनस्वास्थ्य के लिए अत्यंत गंभीर बताया।

  

  

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रदूषण का दायरा लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां कानपुर में केवल राखी मंडी, अफीम कोठी और जूही बंबुरिहा प्रभावित माने गए थे, वहीं अब गंगागंज, पनकी, स्वराज नगर, रतनपुर कालोनी, तेजाब मिल परिसर तक इसका प्रभाव फैल चुका है।

  


अमाइकस क्यूरी अधिवक्ता कत्यायनी ने कोर्ट को बताया कि एक जुलाई 2025 को एनजीटी द्वारा दी गई 22 सिफारिशों में से कई का पालन अब तक अधूरा है। इनमें आरओ-एनएफ जल संयंत्र लगाना, भूजल और वायु विश्लेषण, औद्योगिक उत्सर्जन की निगरानी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन, और क्रोमियम-मरकरी से दूषित क्षेत्रों की सफाई जैसी सिफारिशें शामिल थीं।

  


एनजीटी ने निर्देश दिया कि एम्स नई दिल्ली की टीम प्रभावित जिलों में जाकर चिकित्सा दिशा-निर्देश तैयार करे, जबकि आईआईटी कानपुर को जल, वायु और मिट्टी के परीक्षण का कार्य सौंपा जाए। साथ ही कारपोरेट सेक्टर को अपने सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड से प्रदूषण नियंत्रण और पुनर्वास में सहयोग करने की सलाह दी गई।

  


ट्रिब्यूनल ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में पुनर्वास केंद्र स्थापित करे, जहां प्रदूषण से प्रभावित लोगों को स्वच्छ हवा, साफ पानी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक प्रभावित क्षेत्र में ब्लड टेस्ट लैब, चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

  


एनजीटी ने यह भी कहा कि जनता को प्रदूषण और उसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए मीडिया के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह मामला केवल पर्यावरण संरक्षण का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ा है। इस दिशा में त्वरित कार्रवाई और पारदर्शी रिपोर्टिंग की आवश्यकता है। एनजीटी में अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर होगी।
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