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Putrada Ekadashi 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी? यहां नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त

LHC0088 2025-11-12 17:38:08 views 324

  

Putrada Ekadashi 2025 Date: पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पौष महीने का खास महत्व है। यह महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें पुत्रदा एकादशी भी शामिल है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस शुभ अवसर पर मंदिरों में बड़ी संख्या में साधक लक्ष्मी नारायण जी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, इस व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-

  
कब मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी?

पुत्रदा एकादशी दो बार मनाई जाती है। एक सावन और दूसरी पौष महीने में पड़ती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सुख-सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है। खासकर, पुत्र प्राप्ति का वरदान मिलता है। अतः दंपति पौष और सावन महीने में पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं।
कब है पौष पुत्रदा एकादशी? (Putrada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 05 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए सामान्य जन 30 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी मनाएंगे। वहीं, वैष्णणजन 31 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी मनाएंगे।
देवशयनी एकादशी शुभ योग (Putrada Ekadashi 2025 Shubh Yoga)

ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर सिद्ध, शुभ, रवि योग और भद्रावास योग समेत कई दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी। साथ ही वंश वृद्धि का वरदान भी प्राप्त होगा।
पौष पुत्रदा एकादशी पारण

पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का पारण 31 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 33 मिनट के मध्य पारण किया जाएगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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