टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर स्वदेशी सामान खोजना आसान होने वाला है। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर 2011 के लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स संशोधन के जरिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर पैकेज्ड सामानों के लिए कंट्री ऑफ ओरिजिन का फिल्टर अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। इस फिल्टर के आने के बाद शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट सर्च कर रहे कस्टमर के लिए यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि सामान किस देश में बना है। यह प्रस्ताव पास हो गया तो नए नियम 2026 से लागू हो सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंत्रालय का कहना है कि पैकेज्ड सामानों में कंट्री ऑफ ओरिजिन लिखने की अनिवार्यता पहले से है। नए नियम सिर्फ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सर्च फिल्टर के लिए लाया जा रहा है। मंत्रालय का कहना है कि इससे डिजिटल मार्केटप्लेस से शॉपिंग करने वाले यूजर्स को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि सामान कहां बना है। इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और लोकल मैन्युफैक्चर्स को मदद मिलेगी।
नए प्रस्ताव में क्या है खास
मंत्रालय ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (सेकंड) अमेंडमेंट रूल्स, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जहां इम्पोर्टेड सामान बिकता है, उन्हें अपने प्लेटफॉर्म के प्रोडक्ट लिस्टिंग में \“कंट्री ऑफ ओरिजिन\“ का फिल्टर देना होगा। इस फिल्टर को इनेबल करने पर यूजर्स लोकल या इम्पोर्टेड सामान आसानी से फिल्टर कर पाएंगे।
शॉपिंग वेबसाइट की लिस्टिंग में कंट्री ऑफ ओरिजिन की जानकारी अभी भी मौजूद होती है। लेकिन, इसे फिल्टर करने का ऑप्शन नहीं मिलता है। ग्राहकों को मैन्युअली चेक करना होता है। इस फिल्टर के आने से उन्हें आसानी होगी। माना जा रहा है कि इस फिल्टर के आ जाने से लोकल और छोटे मैन्युफैक्चर्रस को मदद मिलेगी।
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