जीएसटी कटौती का दिखेगा कमाल: जीडीपी विकास दर होगी 7.5 फीसद के पार।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर, 2025) की आर्थिक विकास की दर पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की तरह ही चौंकाने वाली हो सकती है। पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास की दर 7.8 फीसद थी, जिसे तमाम आर्थिक शोध एजेंसियों ने उम्मीद से ज्यादा बताया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अब एसबीआइ की मंगलवार को जारी शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के त्योहारी सीजन से ठीक पहले जीएसटी दरों में की गई कटौती की वजह से दूसरी तिमाही में विकास दर 7.5 फीसद या इससे ज्यादा भी रह सकती है। यह इसलिए होगा कि जीएसटी में कटौती ने त्योहारी मांग को बहुत बढ़ाया है जिसका असर अर्थव्यवस्था पर दिखेगा।एसबीआइ ने कहा है कि नवंबर, 2025 में जीएसटी कलेक्शन दो लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
रिपोर्ट के मुताबिक आटो, घरेलू उपभोग वाले सामान, इलेक्ट्रोनिक्स के साथ ही पर्यटन पर होने वाले खर्चे में वृद्धि हुई है। यह बात डिबट व क्रेडिट कार्ड से होने वाले व्यय से साफ होता है। घरेलू मांग की वृद्धि पूरे देश में देखने को मिली है।
अक्टूबर-नवंबर माह में अभी तक जितनी कारें बिक रही हैं उसमें 39 फीसद की कीमत 10 लाख रुपये से कम है। जीडीपी की गति फिर से बेहतर होने के पीछे सिर्फ जीएसटी दरों में कटौती नहीं है बल्कि महंगाई की दर के लगातार नीचे बने रहने का भी असर है। भारत में त्योहारी सीजन के दौरान ई-कामर्स साइटों पर 14 अरब डॉलर (1.24 लाख करोड़ रुपये) की बिक्री हुई है। यह वर्ष 2024 में अमेरिका के त्योहारी सीजन (ब्लैक फ्राइडे) में होने वाली 10 अरब डॉलर की बिक्री से ज्यादा है।
अमेरिका में चालू साल में यह बिक्री बढ़ कर 11.7 अरब डॉलर रहने की उम्मीद लगाई जा रही है।वैसे भारत में त्योहारी सीजन इस साल 42 दिनों की रही है। इससे भी बिक्री बढ़ाने में मदद मिली है। दोपहिया और तीपहिया वाहनों की बिक्री की स्थिति यह थी कि अधिकांश शो-रूम में वाहनों की कमी थी।
मांग के मुताबिक कंपनियां उत्पादन नहीं कर पा रही थी। इस दौरान 7.7 लाख कारें और 40.5 लाख दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई है जो अपने आप में रिकार्ड है। छोटी कारों की बिक्री में 25 फीसद की वृद्धि देखी गई है।
क्रेडिट कार्ड से होने वाले खर्चे के बारे में इस रिपोर्ट में जो बातें बताई गई हैं वह भी भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव को बता रही हैं। क्रेडिट कार्ड से खर्च करने में बड़े शहरों के मुकाबले 35 से 50 लाख आबादी वाले शहर आगे हैं। गुड़गांव, नोएडा, फरीदाबाद जैसे शहरों में तो सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड के जरिए व्यय में वृद्धि देखी गई है। |