हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के नेता विक्रमादित्य अपनी पत्नी और पीयू की पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. अमरीन कौर के साथ पीयू बचाओ मोर्चा से बात करते हुए।
मोहित पांडेय, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट बहाली को लेकर मचा सियासी घमासान अब पंजाब और हरियाणा से निकलकर हिमाचल तक पहुंच गया है। पंजाब और हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के बाद अब हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र और कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विक्रमादित्य अपनी पत्नी और पीयू की पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. अमरीन कौर के साथ पीयू बचाओ मोर्चा का साथ देने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा। पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों को जब भी जरूरत होगी, हिमाचल उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा दिखाई देगा। शिक्षा और युवाओं से जुड़ा हर मुद्दा सिर्फ किसी एक प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश के भविष्य का सवाल है।
इसके साथ पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजयइंदर सिंगला शनिवार को पंजाब यूनिवर्सिटी पहुंचे और पीयू बचाओ मोर्चा के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि उत्तरी भारत की साझा विरासत है, जहां पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और अन्य राज्यों के विद्यार्थी एक साथ पढ़ते हैं।
आरोप लगाते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में बीजेपी और आरएसएस का एजेंडा लागू करने की कोशिश की जा रही है, जिससे संस्था की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक परंपरा पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, पीयू के ढांचे को कमजोर करने की साजिश सिर्फ यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि पूरे अकादमिक ढांचे पर प्रहार है।
दीपेंद्र हुड्डा अपने समर्थकों के साथ पीयू का करेंगे घेराव
10 नवंबर को हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा भी अपने समर्थकों के साथ पीयू का घेराव करेंगे। इससे पहले अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल, एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और पूर्व मंत्री परगट सिंह ने केंद्र सरकार के रुख को तानाशाही मानसिकता बताते हुए कहा था कि यह कदम न सिर्फ पंजाब यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता, बल्कि पंजाब की अस्मिता और अधिकारों पर सीधा प्रहार है। |