जागरण संवाददाता, बांदा। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब शहर में आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद जगी हे। अदालत ने अस्पतालों, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों से आवारा कुत्तों को तत्काल पकड़ने के आदेश दिए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कोर्ट की इस चेतावनी के बाद जिम्मेदार विभागों की नींद खुली है, हालांकि फर्रुखाबाद की घटना के बाद भी अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
आए दिन लोगों के काटे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद नगर पालिका ने बोर्ड की बैठक में एनीमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर बनाने का प्रस्ताव पारित किया है।
प्रस्ताव को जिलाधिकारी की संस्तुति भी मिल चुकी है। एबीसी सेंटर बनने के बाद आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका बधियाकरण, टीकाकरण, देखभाल और भोज की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल जिले में इस कार्य के लिए न तो संसाधन उपलब्ध हैं और न ही प्रशिक्षित टीम।
ऐसे में नागरिकों को अभी स्वयं सतर्क रहना होगा। नगर पालिका जल्द ही पालतू कुत्तों के पंजीकरण और नियमावली तैयार करने की दिशा में भी कदम उठाने जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि एबीसी सेंटर के बन जाने से आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और शहरवासियों को राहत मिलेगी।
बांदा व अतर्रा नगर पालिका समेत तिंदवारी, मटौंध, बबेरू, नरैनी, ओरन व बिसंडा नगर पंचायत हैं। इन पालिकाओं व नगर पंचायतों समेत पूरे जिले में आवारा घूम रहे कुत्तों के पकड़ने से लेकर उनको आश्रय स्थल में रखने व उनके बधियाकरण कर उन्हें छोड़ने आदि के कोई संसाधन नहीं हैं। इससे खूंखार कुत्ते फिलहाल अभी जिला अस्पताल, मेडिकल कालेज व स्कूलों में आवारा घूम रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कुत्ता काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए संस्थागत क्षेत्रों, जैसे- स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, खेल परिसर और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने इन संस्थानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है, ताकि आवारा कुत्ते अंदर न घुसें। इसके लिए परिसर में चारदीवारी या बाड़ और गेट लगाया जाए।
कोर्ट ने सभी राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से भी आवारा कुत्तों और पशुओं को हटाने का आदेश दिया है। यह भी कहा है कि हटाए गए पशुओं को आश्रय स्थलों, गोशाला आदि में रखा जाएगा। उनकी देखभाल होगी और उन्हें दोबारा उस जगह नहीं छोड़ा जाएगा, जहां से उठाया गया था। ऐसे में लोगों की उम्मीद बढ़ी है।
अब तक हो चुकी दो मौतें, कई घायल
जिले में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। न तो शहर और न ही ग्रामीण इलाकों में लोग सुरक्षित महसूस कर पा रहे हैं। बीते कुछ माह में आवारा कुत्तों के हमले से जहां दो लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं करीब 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इनमें 60 से ज्यादा मामले केवल शहरी क्षेत्र के हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में 190 से अधिक लोग कुत्तों का शिकार बन चुके हैं। 22 जुलाई को गिरवां के तीन वर्ष के मासूम कृष्णा को कुत्तों ने नोच डाला था। डीजे के शोर में बच्चे की चीखें भी नहीं सुनाई दीं। वहीं करीब छह वर्ष पहले मटौंध कस्बे के एक बुजुर्ग की कुत्ते के काटने से मौत हो चुकी है।
आवारा कुत्तों के बधियाकरण के लिए बर्थ सेंटर तैयार करने व पकड़ने के लिए डाक कैचर आदि के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही तैयार किया जाएगा। बोर्ड की बैठक में भी इससे संबंधित प्रस्ताव पास हो गए हैं। जल्द ही आवारा कुत्तों से लोगों को निजात मिलेगी। श्रीचंद्र चौधरी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका |