आटोमैटिक स्विचिंग सिस्टम में खराबी का शुक्रवार को सबसे अधिक असर लखनऊ पर पड़ा
जागरण संवाददाता, लखनऊ : विमान सेवाओं की आटोमैटिक स्विचिंग सिस्टम में खराबी होने से चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 40 से अधिक फ्लाइटें प्रभावित हुईं। शुक्रवार को 11:15 बजे के लगभग लखनऊ एयरपोर्ट के रनवे पर तीन फ्लाइटें 6ई 6521, 6ई 6737, 6ई 607 एप्रन पर खड़ी थीं लेकिन, विमान कब उड़ान भरेगा इसका कुछ पता नहीं था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लखनऊ में कार्यरत अधिकारी दुर्गेश मिश्रा को फ्लाइट 6737 से जाना था। बोर्डिंग 9:30 बजे की जगह पौने 10 बजे हुई। विमान में बैठे-बैठे 11:20 बज गए। दुर्गेश मिश्रा के सहयात्री को मीटिंग में दिल्ली जाना था। मीटिंग का टाइम करीब आ गया लेकिन, विमान अपनी जगह से हिला तक नहीं। ऐसे में उन्होंने एयरलाइंस से नाराजगी जताई।
आटोमैटिक स्विचिंग सिस्टम में खराबी का शुक्रवार को सबसे अधिक असर लखनऊ पर पड़ा। जद्दोजहद के बाद दुर्गेश के टिकट को रीशेड्यूल किया गया। सहयात्री ने कहा, अब दिल्ली जाने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि मीटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे। धनेश अग्रवाल भी इसी फ्लाइट में थे। उन्होंने बताया, फ्लाइट कैप्टन या क्रू को ही पता नहीं था कि विमान अभी और कितना लेट होगा।
लखनऊ एयरपोर्ट सूत्रों ने कहा कि दिल्ली हवाई अड्डे पर एएमएसएस (स्वचालित संदेश स्विचिंग प्रणाली) में खराबी आ गई, जिससे कई हवाई अड्डों पर उड़ान संचालन पर काफी प्रभाव पड़ा। यह समस्या लगभग आधी रात (07 नवंबर) को शुरू हुई और तब से, सिस्टम रुक-रुक कर प्रभावित हो रहा है। इस खराबी के कारण हवाई अड्डों के बीच उड़ान समन्वय के लिए आवश्यक एयर डिफेंस क्लीयरेंस और फ्लाइट इनफार्मेशन क्लीयरेंस संदेशों का आदान-प्रदान बाधित हुआ।
लखनऊ में आठ उड़ानें बोर्डिंग पूरी होने के बाद भी एक घंटे से ज़्यादा देरी से चलीं। एडीसी सिस्टम सुबह बाद में बहाल कर दिया गया, हालांकि, एफआइसी सिस्टम में अभी भी तकनीकी समस्याएं हैं। लखनऊ हवाई अड्डे पर, सभी प्रभावित उड़ानों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया गया। यात्रियों को समय पर सूचित किया गया और टर्मिनल या बोर्डिंग क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की भीड़ या असुविधा की सूचना नहीं मिली।
यह समस्या आटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम में आई थी। एएमएसएस से फ्लाइट का रूट, मौसम की जानकारी एटीसी की स्क्रीन पर पहुंचती है। इस सिस्टम के ठप हो जाने से फ्लाइट का नंबर एटीसी की स्क्रीन पर यहां भी नहीं आ रहा था। ऐसे में सभी काम मैनुअल तरीके से किए गए। चार पांच सेकंड का काम 15 से 20 मिनट लेने लगा। लखनऊ एयरपोर्ट पर फ्लाइटें लेट होने से टर्मिनल-3 डिपार्चर भीतर यात्रियों से खचाखच भर गया था। |