Surya Grahan 2025: सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करे
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2026) लगता है, तो उस दौरान राहु का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ जाता है। इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान मांगलिक और पूजा-पाठ करने की मनाही है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नियम का पालन न करने से जीवन में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2026 में पहला सूर्य ग्रहण कब लगेगा और यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूर्य ग्रहण 2026 डेट (Surya Grahan 2026 Date)
साल 2026 का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी को लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
फरवरी में लगने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अर्जेंटीना और अंटार्कटिका में नजर आएगा।
सूर्य ग्रहण में क्या करें (What to do during a solar eclipse)
- सूतक काल की शुरुआत से पहले मंदिर के कपाट को बंद कर दें।
- भोजन में तुलसी के पत्ते को डाल दें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते को डालने से ग्रहण का दुष्प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता है।
- सूर्य ग्रहण की अवधि के दौरान देवी-देवताओं के मंत्रों का जप करें।
- ग्रहण के बाद स्नान कर पूजा-अर्चना करें।
- मंदिर और घर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- मंदिर या गरीब लोगों में दान करें।
सूर्य ग्रहण में क्या न करें (What not to do during a solar eclipse)
- सूर्य ग्रहण के समय पूजा-अर्चना और मांगलिक काम नहीं करना चाहिए।
- देवी-देवताओं की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।
- नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें।
- भोजन का सेवन न करें।
क्या होता है सूतक समय
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। इस दौरान मांगलिक काम और पूजा-पाठ करने की मनाही है। सूर्य ग्रहण के साथ ही सूतक काल का समापन होता है।
सूर्य मंत्र
- ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
- हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
- ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
- ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
- ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
- ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
- जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
- तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।
- ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।
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