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इस समय में हमेशा बोलनी चाहिए पॉजिटिव बातें, जानिए जीभ पर देवी सरस्वती के वास का रहस्य

cy520520 2025-11-8 15:37:22 views 489

  

देवी सरस्वती की कृपा प्राप्ति के लिए ध्यान रखें ये बातें। (Picture Credit: Freepik)  



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को शिक्षा संगीत, साहित्य और रचनात्मकता की देवी के रूप में पूजा जाता है। विद्यार्थी, कलाकार, लेखक, गायक और विद्या से जुड़े लोग विशेष रूप से मां सरस्वती की आराधना करते हैं। आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि कभी-कभी हमारी जिव्हा पर मां सरस्वती विराजमान होती हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जीभ पर कब होता है देवी सरस्वती का वास

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त वह समय है, जब देवी सरस्वती आपकी जीभ पर आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त का समय लगभग सुबह 4 बजे से लेकर 5 बजकर 30 मिनट तक का रहता है। इस समय को दिन के सबसे शुभ समय के रूप में देखा जाता है। ऐसे में इस समय में जो शब्द हमारे मुख से निकलते हैं, वह बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं।

  

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
न करें ये गलतियां

यह माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में किसी तरह की अशुभ बातें नहीं बोलनी चाहिए और न ही मन में किसी तरह के नकारात्मक विचार लाने चाहिए। क्योंकि इस समय में मां सरस्वती का वास आपकी जिव्हा पर होता है और ऐसे में वह बात सच हो सकती है। ऐसे में हमेशा शुभ ही बोलें और सकारात्मक सोच रखें।

  

(Picture Credit: Freepik)  
ब्रह्म मुहूर्त में करें ये काम

सबसे पहले आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठन की आदत डालनी चाहिए, क्योंकि अगर आप इस समय में उठकर स्नान-ध्यान करते हैं, तो इससे न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं, बल्कि स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही सुबह उठकर अपनी हथेली को देखते हुए कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्\“ मंत्र का जप करना चाहिए। माना जाता है कि व्यक्ति की हथेलियां में देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसा करने से आपके ऊपर देवी सरस्वती के साथ-साथ लक्ष्मी जी की भी कृपा बनी रहती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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