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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के पश्चिम विहार में पेड़ों की अवैध छंटाई और कटाई को लेकर नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाई। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डाॅ. ए सेंतिल वेल शामिल ने मामले की सुनवाई करते हुए एमसीडी की कार्रवाई को गैरजिम्मेदाराना बताया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
याचिकाकर्ता ख्याति आनंद ने आरोप लगाया गया कि छंटाई के नाम पर 250 से अधिक पेड़ों की बड़ी शाखाएं काट दी गई, जिनका घेरा 90 से 120 सेंटीमीटर तक था। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों के स्पष्ट उल्लंघन में थी।
सुनवाई के दौरान संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें वन विभाग, एमसीडी और अन्य एजेंसियों के अधिकारी शामिल थे। रिपोर्ट में कई गंभीर उल्लंघन सामने आए। समिति ने पाया कि विभिन्न ब्लाकों में पेड़ों को अनुमेय सीमा से अधिक काटा गया।
कटे हुए पेड़ों का अवशेष पंजाबी बाग श्मशान भूमि भेजे जाने का दावा किया गया, लेकिन इसके कोई दस्तावेज या रसीदें उपलब्ध नहीं कराई गईं। तीन पेड़ पूरी तरह मृत मिले और दस गुना प्रतिपूरक पौधारोपण भी नहीं किया गया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पूर्व निर्देशों के बावजूद पेड़ों के आसपास की सीमेंटेड सतह को नहीं हटाया गया। वन अधिकारी, उत्तर वन विभाग ने पहले एमसीडी को एक हजार पौधे लगाने का निर्देश दिया था, लेकिन समिति के अनुसार केवल 500 पौधे ही लगाए गए और उनमें से कई के पास ट्री गार्ड भी नहीं थे।
एमसीडी की तरफ से दलील दी गई कि छंटी हुई सामग्री संभालने वाले ठेकेदार पर उनका नियंत्रण नहीं है। एनजीटी ने इस तर्क को खारिज करते हुए इसे गैरजिम्मेदाराना रुख बताया और कहा कि एमसीडी और उसके ठेकेदार दोनों ही वन अधिकारी की शर्तो का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
एनजीटी ने एमसीडी को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देने के साथ ही 50 हजार रुपये जुर्माना एक सप्ताह के भीतर जमा कराने का आदेश भी दिया। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को होगी।
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