दो साल से बंद है सदर अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, जहानाबाद। कोरोना की दूसरी लहर के बाद वर्ष 2021 में पीएम केयर फंड से सदर अस्पताल परिसर में लगभग एक करोड़ की लागत से आक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था, जिसके कारण कोरोना की तीसरी लहर में लोगों को काफी राहत मिली थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन इधर लगभग दो सालों से मामूली खराबी के कारण आक्सीजन प्लांट बंद है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्लांट का कंप्रेशर खराब है। प्लांट से आक्सीजन के उत्पादन के साथ-साथ उसकी सप्लाई भी बंद है।
दो सालों में भी स्वास्थ्य विभाग से सदर अस्पताल के आक्सीजन प्लांट की मरम्मत नहीं हो सकी, जिसके कारण सदर अस्पताल के मरीजों को उस प्लांट से आक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
खराब कंप्रेशर के अलावा प्लांट में और भी कई खामियां बताई जा रही हैं। जिसे ठीक करने में भारी खर्च बताया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आक्सीजन प्लांट की मरम्मत के लिए कम से कम दो लाख रुपये की जरूरत है।
खर्च के लिए सदर अस्पताल के पास फंड नहीं है। सदर अस्पताल के साथ-साथ जिला स्वास्थ्य समिति के पास फंड का अभाव है, जिसके कारण इसकी मरम्मत नहीं हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्लांट के खराब कंप्रेशर को बदलने के लिए अहमदाबाद से संपर्क किया गया था। लेकिन बताया गया है कि पैसा जमा कराए जाने के बाद ही वहां से इंजीनियर भेजकर उसे ठीक कराया जाएगा।
प्लांट से अस्पताल की इमरजेंसी, ऑपरेशन थिएटर, लेबर रूम, चाइल्ड वार्ड तथा एसएनसीयू में आक्सीजन की पाइप से जुड़ा हुआ है। इधर गुरुवार को ही सदर अस्पताल में इलाज के दौरान आक्सीजन न मिलने से एक मरीज की मौत हो गई थी।
फिलहाल निजी वेंडरों से ऑक्सीजन की खरीदारी होती है, जिसमें हजार रुपये खर्च होता है। सदर अस्पताल में 15 से 20 ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर औसत प्रतिदिन खर्च होते हैं।
एक सिलेंडर की कीमत लगभग 100 रुपये ली जाती है। इस तरह से प्रतिदिन 1500 रुपये आक्सीजन की खरीदारी में कम से कम खर्च होता है। इस तरह दो साल के अंदर आक्सीजन की खरीदारी में सदर अस्पताल 10 लाख से अधिक रुपये खर्च कर चुका है। हालांकि प्लांट को चालू करने में इससे काफी कम पैसे खर्च होंगे। |