जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मुरादाबाद के जनसूचना अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के अंतर्गत मांगी जाने वाली सूचनाओं की जानकारी देने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। हैरानी यह कि उन्हें जनसूचना अधिकार अधिनियम के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की बैठक में यह बात सामने आई। उन्होंने बताया कि एक्ट बनने से लेकर अब तक मुरादाबाद में आरटीआइ के अंतर्गत सूचना न देने पर 780 जनसूचना अधिकारियों को दंडित करते हुए 25-25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है।
जन सूचना अधिकारियों के जवाब न देने के चलते ही आयोग में द्वितीय अपील में शिकायतें पहुंच रहीं हैं। आयोग में द्वितीय अपील के 177 केस विचाराधीन हैं। ऐसी स्थिति पर अंकुश के लिए डीएम से कहा कि मासिक बैठकों के दौरान आरटीआइ के मामलों के निस्तारण की भी समीक्षा की जाए।
राज्य सूचना आयुक्त ने कलक्ट्रेट सभागार में डीएम अनुज सिंह, सीडीओ मृणाली अविनाश जोशी संग सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत नामित जिले के जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि मुरादाबाद में आरटीआइ के अंतर्गत मांगी जाने वाली सूचनाओं की जानकार देने में लापरवाही की शिकायतें थीं।
वादों के निस्तारण में विलंब की शिकायत की। ऐसे स्थिति मे बैठक कर हाल जाना गया। स्पष्ट कहा गया कि जन सूचना अधिकारी प्रत्येक आवेदन पत्र का निर्धारित 30 दिवस के भीतर अनिवार्य रूप से निस्तारण करना सुनिश्चित करें। आरटीआइ के प्राविधानों को लेकर अधिकारियों को गंभीरता बरतनी होगी और आवेदक को स्पष्ट और समयबद्ध सूचना उपलब्ध कराने में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
डीएम ने भी अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी अधिकारी अपने कार्यालय में अभिलेखों को दुरुस्त कराएं। आरटीआइ के प्राविधानों के अनुरूप सूचनाओं को प्रदान करने में कोई लापरवाही न बरतें। मासिक बैठकों में भी लंबित प्रकरणों की मानिटरिंग की जाएगी।
इस अवसर पर एसपी ग्रामीण कुंवर आकाश सिंह, अपर नगर आयुक्त अतुल कुमार, एडीएम वित्त एवं राजस्व ममता मालवीय, सीएमओ डा. कुलदीप सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
एमडीए, नगर निगम, ग्राम्य विकास की स्थिति खराब
राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि समीक्षा बैठक में ग्राम्य विकास, एमडीए, नगर निगम, बेसिक शिक्षा विभाग, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय, राजस्व विभाग की स्थिति खराब मिली। आवेदनकर्ता की सर्वाधिक शिकायतें इन्हीं विभागों से हैं कि यह विभाग जवाब देने में दिलचस्पी नहीं लेते। नतीजा आवेदक द्वितीय अपील में जाता है। |
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