जागरण संवाददाता, बदायूं। लखन को राम मिले बलराम को कृष्ण, मुझकों भी ऐसा प्यारा भाई मिला... भाईयों के प्रेम की कहानी हर युग में बानगी बनी है। लेकिन बेला गांव में दो भाईयों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
छोटा भाई बड़े भाई की मौत का सदमा बर्दशत नहीं सका। इससे रोते बिलखते छोटे भाई ने भी बड़े भाई के वियोग में अपना दम तोड़ दिया। सगे भाईयों की मौत से स्वजन में चीत्कार मची है।
मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव बेला निवासी चंद्रपाल शाक्य के स्वजन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। चंद्रपाल शाक्य वर्ष 1980 में उत्तराखंड के देहरादून जिले के विकास नगर की ट्रांस कालोनी में जाकर बस गए थे। वह विद्युत निगम में अधिशासी अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने वहां ही अपना घर बना लिया और अपने बच्चों के साथ रहकर जीवन यापन करते थे।
पिछले दो महीनों से चंद्रपाल शाक्य बीमार चल रहे थे। जिनका सोमवार को इलाज के दौरान निधन हो गया। यह दुखद खबर सुनते ही उनके छोटे भाई राम प्रसाद शाक्य व स्वजन विकास नगर पहुंचे। जहां बुधवार को चंद्रपाल के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
बड़े भाई की मौत का गहरा सदमा राम प्रसाद शाक्य सहन नहीं कर पा रहे थे। उनकी बार-बार तबीयत बिगड़ रही थी। वह बेहोश हो रहे थे। स्वजन ने बताया कि गुरुवार सुबह करीब छह बजे उनका भी अचानक निधन हो गया। इससे स्वजन में चीख पुकार मच गई।
एक ही परिवार में दो भाइयों की मौत से बेला गांव में भी कोहराम मच गया। ग्रामीणों में मातम पसर गया। दोनों भाईयों की मौत से हर कोई स्तब्ध रह गया। ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने बताया कि राम प्रसाद भाई के वियोग से अत्यधिक दुखी थे। भाई के निधन के मानसिक आघात में उन्होंने प्राण त्याग दिए। गांव का गमगीन माहौल है। |