प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, रोहतक। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रोहतक-महम-हांसी रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित जमीन के मामले में रोहतक के गांव भाली आनंदपुर के केस में बड़ा फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति हरकेश मनुजा ने दिए आदेश में कहा कि किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा 78.40 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मिलेगा, साथ ही उन्हें 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मिलने वाले अन्य सभी वैधानिक लाभ और ब्याज भी दिया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऐसे में करीब 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक का मुआवजा मिलेगा। यह फैसला उन हजारों किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी जमीनें सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की जाती हैं।
हाईकोर्ट ने साफ किया है कि सरकार और निचली अदालतें वास्तविक बिक्री उदाहरणों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। किसानों को उनके हक का उचित मुआवजा मिलना ही न्याय है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता डीके टूटेजा ने बताया कि रोहतक-महम-हांसी नई रेलवे लाइन परियोजना के लिए वर्ष 2013-14 में गांव भाली आनंदपुर की 140 कनाल 19 मरला जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने 1 जून 2016 को अवॉर्ड जारी करते हुए मुआवजा दर मात्र 20 लाख रुपये प्रति एकड़ तय की थी। इससे असंतुष्ट किसानों ने धारा 64, भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 के तहत रेफरेंस कोर्ट में अपील की।
लेकिन अक्टूबर 2021 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रोहतक ने किसानों की याचिकाएं खारिज कर दी। इसके खिलाफ किसानों ने हाईकोर्ट में 9 रेगुलर प्रथम अपील (आरएफए) दायर की।
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इसके तहत वैधानिक लाभ में धारा 30 (1) के तहत, मुआवजा राशि रूपये 78.40 लाख रुपये प्रति एकड़ के ऊपर 100 फीसदी सांत्वना राशि 78.40 लाख प्रति एकड़ भी आता है। साथ ही धारा 80 के तहत उपरोक्त राशि पर 9 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज भी मिलेगा।
इस तरह से प्रति एकड़ कुल देय राशि 78.40 लाख और सांत्वना राशि 78.40 लाख रुपये यानी 1,56,80000 रुपये व इस पर 9 फीसदी ब्याज बनाकर प्रति एकड़ देय धन करीब 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बनता है।
मुआवजे के लिए नजदीकी जमीन का दिया हवाला
किसानों की ओर से अधिवक्ता डीके टूटेजा ने दलील दी कि अधिग्रहित भूमि के ठीक नजदीक की जमीन की बिक्री 20 अप्रैल 2012 को हुई थी। उस सौदे में छह कनाल 16 मरला जमीन 83.30 लाख रुपये में बिकी थी, जिसका मूल्य लगभग 98 लाख रुपये प्रति एकड़ बैठता है।
इसलिए मुआवजा दर इसी के आधार पर तय होनी चाहिए थी। इस मामले पर राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता दलील दी कि मुआवजे केे समय जमीन की दर करीब 20 लाख रुपये प्रति एकड़ ही थी।
किसानों को मिलेगा बढ़ी दर पर मुआवजा
न्यायमूर्ति हरकेश मनुजा ने विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला दिया कि बिक्री 20 अप्रैल 2012 की थी, जबकि भूमि अधिग्रहण अधिसूचना 22 दिसंबर 2013 को जारी हुई। यानी लगभग 20 महीने का अंतर था।
ऐसे में इस अवधि के लिए 12% वार्षिक वृद्धि जोड़कर दर 1.17 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बनती है, लेकिन क्योंकि अधिग्रहित जमीन रोहतक-भिवानी रोड से 5-10 एकड़ दूर थी, इसलिए एक-तिहाई कटौती लगाई गई। इस तरह अंतिम दर 78.40 लाख रुपये प्रति एकड़ तय की गई।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई डेवलपमेंट कट लागू नहीं होगा, क्योंकि जमीन रेलवे लाइन परियोजना के लिए ली गई है और सरकार को इसके विकास पर अलग से खर्च नहीं करना होगा।
इस आदेश से जुड़े सभी आठ अपीलों को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए किसानों को बढ़ी हुई दर पर मुआवजा देने का निर्देश दिया।
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