नाकाम रही पाक-अफगान वार्ता अब खुलकर दोनों देशों के बीच जांग (फाइल फोटो)  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से सीजफायर को लेकर चल रही बातचीत मंगलवार को विफल हो गई। दोनों देशों के सरकारी मीडिया ने एक-दसरे पर वार्ता तोड़ने का दोष मढ़ा। तीन पाकिस्तानी अधिकारियों ने एपी को बताया कि वार्ता इसलिए अटकी क्योंकि काबुल ने पाकिस्तान की तार्किक और वैध मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
उन्होंने हा कि पाकिस्तान चाहता था कि अफगानिस्तान यह भरोसा दे कि उसकी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी हमलों के लिए नहीं होगा। हालांकि, अब तक दोनों देशों की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।  
पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर आरोप  
 
अफगान मीडिया ने कहा कि उनके प्रतिनिधियों ने रचनात्मक बातचीत की पूरी कोशिश की, जबकि पाकिस्तानी पक्ष ने आरोप लगाया कि अफगान दल जिद्दी था और गंभीर नहीं था। पाकिस्तान ने कहा कि आगे की प्रगति अफगानिस्तान के सकारात्मक रवैये पर निर्भर करेगी।  
 
वार्ता के असफल होने के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान की फिर से चर्चा हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर बातचीत नाकाम रही तो इस्लामाबाद के पास खुले युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। यह बयान ऐसे समय आया जब दुनिया पहले से ही कई संघर्षों से जूझ रही है और नया युद्ध चिंता का विषय बन सकता है।  
क्या होगी चौथे दौर की बातचीत?  
 
पाक और अफगान प्रतिनिधि अभी भी तुर्की में मौजूद हैं, लेकिन चौथे दौर की बातचीत की कोई तारीख तय नहीं हुई है। पहला दौर 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ था। कतर और तुर्किये इस वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। यह बातचीत दोनों देशों के बीच सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए की जा रही है।  
 
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की जमीन से तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान(TTP) के जरिए उस पर हमले हो रहे हैं। हालांकि, तालिबान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पाकिस्तान ने हाल ही में काबुल में कई ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिस पर तालिबान ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ये अफगान संप्रभुता का उल्लंघन हैं।  
दोनों देशों में फिर हुई झड़प  
 
इन हमलों में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने दर्जनों अफगान सैनिकों और आतंकियों को मार गिराया, जबकि तालिबान ने कहा कि इसमें 12 नागरिक मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए। रविवार को भी दोनों देशों के बीच झड़प हुई जिसमें 5 पाक सैनिक और 25 अफगान लड़ाके मारे गए। पाकिस्तान ने कहा कि ये मौतें सीमा पार घुसपैठ की कोशिश में हुई।  
भारत-तालिबान रिश्तों में सुधार  
 
इस बीच, तालिबान और भारत के संबंध सुधरते दिखाई दे रहे हैं।अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली यात्रा के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास दोबारा खोलने का फैसला किया है।  
 
मुत्ताकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात में पाहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी, जिसे एक पाकिस्तान-आधारित आतंकी समूह ने अंजाम दिया था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि तालिबान अपनी जमीन से किसी भी भारत विरोधी गतिविधि की अनुमति नहीं देगा।  
 
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