नीतीश कुमार और सोनम रानी।
संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। वर्षों की निष्ठा और समर्पण जब फल देते हैं, तो सिफारिश नहीं, कर्म बोलता है। यह कहावत उस समय चरितार्थ हो उठी जब जदयू प्रखंड उपाध्यक्ष और जिला परिषद सदस्य सोनम रानी को एनडीए समर्थित जदयू प्रत्याशी के रूप में पार्टी आलाकमान ने प्रत्याशी घोषित कर दिया। पार्टी ने लगातार दो बार की विजेता वीणा भारती का टिकट काट इन पर भरोसा जताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बुधवार की रात इस घोषणा के एनडीए के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह देखा गया। कहा कि सोनम रानी के चयन ने क्षेत्र में यह संदेश दे दिया कि जदयू संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं का सम्मान सर्वोपरि है और अगर कोई सच्ची निष्ठा के साथ संगठन के लिए काम करता है, तो उसे बड़ी जिम्मेदारी देने में पार्टी कभी पीछे नहीं हटती।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह फैसला सिर्फ एक टिकट नहीं, बल्कि उस कर्मठता का इनाम है जिसे सोनम रानी ने वर्षों से बिना किसी दिखावे के निभाया है। सोनम रानी ने प्रत्याशी बनाए जाने पर एनडीए नेतृत्व के प्रति आभार जताया और आम जनता से मिल रहे स्नेह के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा जनता की सेवा को अपना कर्तव्य समझा है। पहले भी जनसमस्याओं के लिए संघर्षरत रही हूं और आगे भी तत्पर रहूंगी। यह टिकट मेरे लिए सम्मान ही नहीं, जिम्मेदारी भी है, जिसे मैं पूरी निष्ठा से निभाऊंगी। यही नहीं इस निर्णय के साथ जदयू ने संगठन के भीतर एक सकारात्मक संदेश भी दिया है कि समर्पित कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत हैं।
गुरुवार को जब वे जदयू कार्यालय पहुंची तो नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने फूल-माला से लाद दिया। उन्हें शुभकामनाएं देते हुए खुशी जाहिर की।
उनके पति सिकेंद्र सरदार ने कहा कि शुरू से ही उन्होंने पार्टी के लिए निष्ठा और समर्पण भाव से काम किया है, और उसका परिणाम अब बड़ी जिम्मेदारी के रूप में मिला है। उन्होंने कहा कि इस जिम्मेदारी को सभी के सहयोग से सफलतापूर्वक निभाना हमारा लक्ष्य है।
जदयू ने फिर दिखाई आधी आबादी में आस्था
जदयू के गढ़ माने जाने वाली यह सुरक्षित विधानसभा सीट 2005 से ही पार्टी के नियंत्रण में रही है। खास बात यह रही है कि वर्ष 2010 से इस सीट पर जदयू ने महिलाओं को ही अपना प्रतिनिधि बनाया है, जिसे जनता का अपार समर्थन भी मिलता रहा।
2010 में अमला देवी ने जदयू प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर एक नई शुरुआत की थी। इसके बाद 2015 और 2020 में वीणा भारती ने लगातार दो बार जीत हासिल कर इस परंपरा को आगे बढ़ाया। इस बार पार्टी ने वीणा भारती को टिकट नहीं देकर उन्हें चुनावी मैदान से बाहर कर दिया है।
हालांकि जदयू ने इस बार भी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारकर यह साफ संदेश दिया है कि पार्टी के लिए आधी आबादी सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिबद्धता है। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि महिलाओं को सशक्त बनाने और नेतृत्व में भागीदारी देने के प्रति जदयू की नीति अडिग है। |