हत्या के दोषी पिता, पुत्र, पौत्र, पुत्र वधु समेत पांच को आजीवन कारावास
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार मिश्रा की अदालत ने हत्या और गोलीकांड प्रकरण में सुनवाई पूरी होने पर कड़ा फैसला सुनाया। एक ही परिवार के पिता, पुत्र, पौत्र, पुत्र वधु समेत पांच सदस्यों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कासना कोतवाली क्षेत्र के अमीनाबाद उर्फ नियाना गांव निवासी जसमाल उनके पुत्र राजकुमार, पुत्र वधु निरोज और पोते निशांत उर्फ निशु, मोंटी को दोषी पाया गया। आजीवन कारावास के साथ सभी पर 34-34 हजार अर्थदंड भी लगाया है। जुर्माना जमा नहीं करने पर दोषियों को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
एडीजीसी क्राइम नितिन त्यागी ने बताया कि घटना 29 जून 2020 की है। वादी बाबूराम की तहरीर पर कासना कोतवाली में आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। बाबू राम का भतीजा सोनू पुत्र वीर सिंह बिलासपुर से नियाना गांव अपने घर लौट रहा था। वह गांव में जसमाल के गेट के सामने पहुंचा था।
जसमाल व उसके पुत्र राजकुमार और राजकुमार के पुत्र निशांत एवं मोंटी रास्ते में ट्रैक्टर ट्राली लिए खड़े मिले। सोनू ने रास्ते से हटने को कहा तो आरोपितों ने इनकार कर मारपीट की। किसी तरह जान बचाकर घर पहुंचे सोनू ने आपबीती स्वजन को बताई।
सोनू को लेकर उसके भाई राजेंद्र सिंह, बिजेंद्र सिंह और देवेंद्र सिंह शिकायत करने जसमाल के घर पहुंचे। वहां दोबारा आरोपितों राजकुमार, निशांत और मोंटी ने गाली-गलौज शुरू कर दी। विवाद बढ़ने पर जसमाल ने अपनी लाइसेंसी बंदूक निशांत को पकड़ा दी।
इस बीच राजकुमार की पत्नी निरोज घर से दो फरसे निकाल लाई। हथियार पति राजकुमार और पुत्र मोंटी को थमा दिए। निशान्त ने बिजेंद्र पर गोली चलाई थी। इससे बिजेंद्र खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर गया। राजकुमार और मोंटी ने फरसे से राजेंद्र, बिजेंद्र और देवेंद्र पर हमला कर दिया।
गोली लगने से बिजेंद्र सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी और राजेंद्र सिंह व देवेंद्र सिंह गंभीर रूप से घायल हुए थे। फरसे के वार से देवेंद्र के बाएं हाथ की कलाई में चोट आई थी। राजेंद्र सिंह के हाथ, छाती और पेट पर गंभीर चोटें आईं थी।
ग्रामीणों के शोर मचाने पर आरोपित जसमाल, राजकुमार, निशांत, मोंटी और निरोज भाग गए थे। पुलिस घटना स्थल से दो खून से सने फरसे और लाइसेंसी बंदूक बरामद की थी। आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने विवेचना पूरी होने पर चार्जशीट अदालत में दाखिल की थी।
अभियोजन ने अदालत में कहा कि आरोपितों ने घटना के बाद शव खींच कर अपने घर में ले जाने की कोशिश की थी, ताकि घटना के स्वरूप को बदलकर साक्ष्य मिटाए जा सकें। मामले में 14 लोगों की गवाही हुई।
बहस पूरी होने के बाद अदालत ने पांचों आरोपितों को आईपीसी की धारा-147, 148, 149, 323, 324, 326, 302, 307, 504, 506 के तहत दोषी करार दिया। आरोपितों के अधिवक्ता ने उम्र का हवाला देकर सजा कम करने की मांग की थी, जबकि अभियोजन पक्ष ने अधिकतम सजा की मांग की। अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया।
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