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फ्रांस के पीएम पद पर महीने भर भी नहीं रहे लेकोर्नु, एक दिन पहले गठित की थी कैबिनेट

LHC0088 2025-10-7 13:42:57 views 652

  फ्रांस के पीएम के इस्तीफे के बाद गहराया राजनीतिक संकट। (फाइल फोटो)





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस में राजनीतिक संकट फिर गहरा गया है। प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु ने सोमवार को मंत्रिमंडल गठन के 24 घंटे से भी कम समय बाद इस्तीफा दे दिया। इस कदम से पूरा देश आश्चर्यचकित रह गया और उनकी सरकार फांसीसी इतिहास की सबसे कम समय तक चलने वाली सरकार बन गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने लेकोर्नु और उनके मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। यह इस्तीफा उनके मंत्रिमंडल के गठन को लेकर चल रही उथल-पुथल के बीच आया है, जिसमें मध्यमार्गी और रूढि़वादियों का एक असहज गठबंधन शामिल है। लेकोर्नु महीने भर भी पद पर नहीं रहे। एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी कैबिनेट गठित की थी। वह पीएम पद संभालने वाले करीब दो वर्ष में पांचवें व्यक्ति रहे।


शेयर बाजार में आई गिरावट

लेकोर्नु के इस्तीफे से देश के शेयर बाजार और यूरो में गिरावट दर्ज की गई। यह अप्रत्याशित इस्तीफा तब आया, जब सहयोगियों और विरोधियों ने नई सरकार गिराने की धमकी दी थी। लेकोर्नु के इस्तीफे के बाद धुर-दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने राष्ट्रपति मैक्रों से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। जबकि धुर-वामपंथी दल फ्रांस अनबाउड ने कहा कि मैक्रों को भी पद छोड़ देना चाहिए।


9 सितंबर को नियुक्त हुए थे प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति मैक्रों ने नौ सितंबर को लेकोर्नु को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। वह महज 27 दिन पद पर रहे। लेकोर्नु ने त्यागपत्र देने के बाद कहा, \“जब परिस्थितियां पूरी तरह अनुकूल न हों तो कोई प्रधानमंत्री पद पर नही रह सकता।\“

मैक्रों के करीबी लेकोर्नु ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के बाद रविवार को अपनी कैबिनेट गठित की थी। सोमवार दोपहर बाद नई कैबिनेट की पहली बैठक होने वाली थी। उनकी सरकार महज 14 घंटे ही चल पाई। आधुनिक फ्रांसीसी इतिहास में सबसे कम समय तक चलने वाली यह सरकार बन गई है। नई कैबिनेट को सहयोगी दलों और विरोधियों के विरोध का सामना करना पड़ा।



2022 में मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से ही फ्रांस की राजनीति ज्यादा अस्थिर हो गई है। आठ सितंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए थे। इसके चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद मैक्रों ने लेकोर्नु को प्रधानमंत्री बनाया था।

यह भी पढ़ें- मैक्रों के सहयोगी रोलैंड लेस्क्योर फ्रांस के नए वित्त मंत्री नियुक्त, सामने ये है चुनौती
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