उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि केंद्र सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत यूपी में लगभग 44 हजार करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। इसके बाद भी प्रदेश की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
पावर कारपोरेशन विद्युत वितरण अब सुधार नहीं दिखने पर काम कर रहीं निजी कंपनियों की व्यवस्था का अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है। सवाल किया है कि पहले अध्ययन किया जाता है उसके बाद व्यवस्था लागू की जाती है। अब 44 हजार करोड़ खर्च करने के बाद अध्ययन की सोचना गंभीर सवाल खड़े करता है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन और बिजली कंपनियां जब चाहें इस मुद्दे पर कार्यशाला आयोजित करें। परिषद हर समस्या के समाधान के लिए व्यावहारिक प्लान देने को तैयार है, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की जवाबदेही तय की जाए।
उन्होंने कहा है कि 44 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बाद वर्टिकल व्यवस्था लागू किए जाने पर भी उपभोक्ता परेशान हैं। पावर कारपोरेशन अब पश्चिमांचल व मध्यांचल विद्युत वितरण कंपनियों के अधिकारियों को आगरा व मुंबई में विद्युत व्यवस्था देख रहीं निजी कंपनियों की व्यवस्था का अध्ययन कराने की तैयारी में है।
पावर कारपोरेशन कंफ्यूज है। कारपोरेशन को निजी कंपनियों पर इतना भरोसा है तो पांच साल तक उन कंपनियों में नौकरी करें और उसके बाद अपना अनुभव बताएं। बिजली कंपनियों में वर्टिकल व्यवस्था लागू कर इसे अत्यंत सफल बताकर वाहवाही लूटी जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जहां यह व्यवस्था लागू है वहां उपभोक्ता परेशान हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें |