बिना प्रधानाचार्य के संचालित हो रहा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, पांच शिक्षिकाओं पर 140 छात्राओं की जिम्मेदारी

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संवाद सूत्र, बाजारशुकुल (अमेठी)। प्राइवेट कॉलेजों की तड़क भड़क के आगे क्षेत्र का इकलौता राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सरकारी अपेक्षा का शिकार है। प्रधानाचार्य विहीन राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली 140 छात्राओं का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी पांच शिक्षिकाओं के भरोसे है। कॉलेज में एक हिंदी प्रवक्ता समेत चार सहायक शिक्षिकाओं की नियुक्ति है। इन्ही में से सहायक शिक्षिका पुष्पा रावत को प्रभारी प्रधानाचार्या बनाया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शिक्षिकाओं की कमी के चलते अभिभावक भी अपनी पुत्रियों का दाखिला कॉलेज में करवाने से कतराने लगे हैं। कॉलेज में 10वीं कक्षा तक विज्ञान वर्ग की पढ़ाई होती है। किंतु पिछले कई वर्ष से रसायन व भौतिक विज्ञान पढ़ाने के लिए शिक्षिका की नियुक्ति नहीं की गई। जैसे-तैसे तैनात शिक्षिकाएं छात्राओं को रसायन व भौतिक विज्ञान की पढ़ाई करा रही हैं।
कौन चलाए प्रयोगशाला

इंटर कॉलेज में प्रयोगशाला बनवाया गया है। जिसमें संबंधित यंत्र रखे गए हैं, लेकिन विज्ञान वर्ग की छात्राओं को इस लैब से रूबरू कराने वाले शिक्षक की ही तैनाती नहीं की गई है। जिससे लैब में रखे बेशकीमती यंत्र धूल फांक रहे हैं।

विभाग ने यंत्रों व प्रयोगशाला के सदुपयोग को लेकर कभी विचार तक नहीं किया। जिसका खामियाजा छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
कॉलेज में नहीं हैं प्रवक्ता

कॉलेज में नौ प्रवक्ताओं के सापेक्ष मात्र एक प्रवक्ता की नियुक्ति हुई है। अब सवाल यह उठता है कि जब आठ प्रवक्ताओं की पिछले कई वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई, तो 11 व 12 की कक्षाएं कैसे संचालित होती होंगी।

हिंदी के प्रवक्ता ही अन्य विषयों की पढ़ाई छात्राओं की करा रही हैं। इसी क्रम में आठ सहायक शिक्षिकाओं के सापेक्ष मात्र चार की ही नियुक्ति है। दो लिपिकों के स्थान पर मात्र एक ही लिपिक नियुक्त है।
अनुचर की भी कमी

कॉलेज का बड़ा बुरा हाल है। यहां एक चौकीदार व तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन इनमें से किसी की नियुक्ति यहां नहीं है। अभिभावकों का सवाल है कि जब कोई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त नहीं है, तो कॉलेज परिसर व कक्षा कक्ष की साफ सफाई व्यवस्था की क्या दशा होगी। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

छात्राओं का नहीं लिया जाता प्रवेश : प्रभारी प्रधानाचार्या की मानें तो कॉलेज में विज्ञान वर्ग की प्रवक्ता नियुक्त न होने से 11वीं व 12वीं कक्षाओं में छात्राओं का प्रवेश नहीं लिया जाता है। मात्र 10वीं तक ही विज्ञान विषय की पढ़ाई होती है। उसमें भी महज जीव विज्ञान की शिक्षिका ही उपलब्ध है।


जितना संसाधन उपलब्ध है। उसी से काम चलाया जा रहा है। छात्राओं को असुविधा न हो इसका पूरा प्रयास रहता है। कॉलेज का परीक्षा फल सदैव ठीक रहता है। कॉलेज में प्रवक्ता, शिक्षिका, चपरासी, चौकीदार व दफ्तर के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए समय समय पर उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जाता है। -पुष्पा रावत, प्रभारी प्रधानाचार्या।
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