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सारंडा वन क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, राज्य सरकार ने बनाया पांच मंत्रियों की टीम

Chikheang 2025-10-8 07:36:24 views 985

  सारंडा वन क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है। फाइल फोटो





राज्य ब्यूरो, रांची। सारंडा वन क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव दिल्ली पहुंच चुके हैं।

बीते 18 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा को अभयारण्य घोषित न करने को अवमानना माना था और कहा था कि यदि आठ अक्टूबर तक अभयारण्य घोषित नहीं हुआ तो मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कोर्ट ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का भी निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद झारखंड सरकार ने तेजी से कदम उठाए। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के नेतृत्व में पांच मंत्रियों का समूह गठित किया गया। जो अध्ययन रिपोर्ट तैयार करेगी। मंत्रियों के समूह ने हाल ही में सारंडा क्षेत्र का दौरा कर स्थानीय लोगों से चर्चा की।



संभावना है कि सरकार अब तक की कार्रवाइयों की रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करेगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि झारखंड सरकार मामले में टालमटोल कर रही है।

29 अप्रैल को वन सचिव अबु बकर सिद्दीकी के माध्यम से सरकार ने शपथपत्र दायर कर कहा था कि पीसीसीएफ (वन्य जीव) ने 576 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सेंचुरी घोषित करने का प्रस्ताव वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) को भेजा है।



कोर्ट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर डब्ल्यूआइआइ की रिपोर्ट के दो महीने के भीतर सेंचुरी घोषित करने का आदेश दिया था। डब्ल्यूआइआइ ने 30 जून को अपनी सहमति वाली रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन सरकार ने अभी तक सेंचुरी घोषित नहीं की।
दिल्ली में विधि विशेषज्ञों से विमर्श कर लौटे सीएम हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार शाम दिल्ली प्रवास से रांची लौटे। दिल्ली में उन्होंने विधि विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ सारंडा वन्यजीव अभयारण्य से जुड़े संवेदनशील मामले पर गहन विचार-विमर्श किया। उनके साथ मुख्य सचिव अविनाश कुमार भी मौजूद थे।



सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा वन क्षेत्र को सेंचुरी घोषित नहीं करने पर झारखंड सरकार से जवाब तलब किया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में तेजी दिखाते हुए वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के नेतृत्व में पांच मंत्रियों का समूह गठित किया है।

इस समूह ने हाल ही में सारंडा क्षेत्र का दौरा कर स्थानीय लोगों से चर्चा की और उनकी आपत्तियों को सुना। स्थानीय समुदाय का कहना है कि अभयारण्य घोषणा से उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।



मंत्री समूह सेंचुरी घोषणा के पक्ष में है, लेकिन यह चाहता है कि निर्णय जमीनी हकीकतों के साथ संतुलित हो। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर की सुनवाई में सरकार के टालमटोल को अवमानना माना था। राज्य सरकार इस मामले में अतिरिक्त समय की मांग कर सकती है।
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