संवाद सूत्र नारायणपुर (भागलपुर)। नवगछिया इलाके के नगरपारा गांव के बीच में बना कुआं का इतिहास बहुत पुराना है। राजा गौर नारायण सिंह द्वारा निर्मित कुआं आज भी नगरपारा के गौरवशाली इतिहास को बताता है। इस कुएं का निर्माण शक संवत 1634 में राजा गौर नारायण सिंह ने करवाया था। तब से आज तक यह कुआं अपने जीवंतता का प्रमाण देते आ रहा हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कुआं का पानी पीने से घेघा रोग समाप्त होता है
गांव के शिक्षक किशोर सिंह कहते हैं कि कुआं इतना बड़ा है कि इसमें एक डेंगी नाव चारों तरफ घूम सकता है। इस कुएं की खासियत की क्या बात किया जाये तो बहुत सारी कथाएं इस कुएं के बारे में प्रचलित है। कुआं का पानी पीने से घेघा रोग समाप्त होता है। पूर्व में पानी का जांच भी किया गया है उससे पता चला कि पानी में आयोडीन की ज्यादा मात्रा है, जिससे घेघा रोग ठीक होता है। भागलपुर ही नहीं आसपास के जिलों से भी लोग इसका पानी लेने आते हैं।
मरवा का शिव मंदिर
बाबू गौर नारायण सिंह दो भाई थे। एक भाई झब्बन सिंह जो बिहपुर के मरवा में बस गए। उनके द्वारा बनावाया गया मरवा का शिव मंदिर आज भी हजारों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। गौर नारायण सिंह द्वारा बनाया गया नगरपारा का बड़ा कुआं लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। एक समय ऐसा भी था की लगभग पूरे गांव के लोग इस कुएं पर आकर के नहाते थे। कपड़ा साफ करते थे। घरों में भोजन बनाने के लिए यही से पानी ले जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे सुविधा बढी सबके घरों में चापानल,मोटर आदि लग गया। कुआं का उपयोग समाप्त हो गया। शिक्षक अनीस कु गुड्डू सिंह बताते हैं कि नि:संतान दंपती की भी मन्नत पूरी होती है।
कुआं का जीर्णोद्धार हुआ है
मुखिया अन्नपूर्णा देवी बताती है कि 15वीं वित्त योजना से करीब चार लाख के लागत से जल जीवन हरियाली के तहत कुआं का जीर्णोद्धार किया गया है। भागलपुर के तत्कालीन डीएम सुब्रत सेन ने भी जब सुना था कि यहां का पानी पीने से घेघा बीमारी ठीक होता है तो वह स्वयं कुआं तक पहुंच गए थे। 15वीं वित्त योजना से जीर्णोद्धार करने का आदेश दिया था।
जहां पर कुआं है। उस पानी में आयोडीन की मात्रा ज्यादा होगा। इसीलिए घेघा बीमारी ठीक होता है। -
डॉ विनोद कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणपुर |