सेक्टर 39 स्थित जिला अस्पताल। जागरण
सुमित शिशाेदिया, नोएडा। प्रदेश के शो विंडो शहर कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर में स्वास्थ्य सेवाओं ने 2025 में कई नए आयाम स्थापित कर न सिर्फ देश में बल्कि यूनाइटेड स्टेट के अध्यक्ष और थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के शीर्ष नेतृत्व को भी अपनी ओर खींचने पर मजबूर कर दिया। शासन का विशेष सहयोग मिलने पर जनपद तेजी से मेडिकल हब के रूप में विकसित हो रहा है लेकिन, ट्रॉमा सेंटर और कैथलैब न होने से मरीज परेशान हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं, जिला संयुक्त अस्पताल में डीएनबी कोर्स और सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी मेडिकल कालेज एंड अस्पताल को 50 सीटें मिलने से मेडिकल हब की तस्वीर बन रही है।
कार्यवाहक सीएमएस डॉ. अजय राणा बताती हैं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कार्य हुए हैं। जिला अस्पताल में एंटी रेबीज सीरम सेंटर खोलकर मरीजों को बड़ी राहत दी। नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए एसएनसीयू, डिजिटल लाइब्रेरी, एबीडीएम कार्यक्रम में अस्पताल ने स्क्रीनिंग एंड शेयरिंग में प्रथम स्थान हासिल किया। एनएचए द्वारा माडल यूनिट शुरू की गई।
डीएनबी कोर्स के लिए एनेस्थीसिया की दो सीटों पर अनुमति मिल गई है जबकि ईएनटी, जनरल मेडिसिन, फैमिली मेडिसिन, आप्थोल्मोजी विभाग में भी सीटें मिलने का इंतजार है। एनक्वास में जिला अस्पताल को 92 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में पहला स्थान मिला। मिर्गी दौरे का इलाज को नोएडा विधायक पंकज सिंह ने ईईजी मशीन केंद्र का फीता काटकर उद्घाटन किया।
यही नहीं, यूनाइटेड स्टेट के अध्यक्ष फिलेमन यांग ने कोल्ड चैन और वैक्सीन सेंटर की बेहतरीन व्यवस्था के लिए अस्पताल प्रबंधन को बधाई देकर भारत सरकार के प्रयासों की सराहना है। प्रबंधन को लक्ष्य, मुस्कान प्रमाण पत्र भी मिला है। अगले वर्ष मरीजों को एमआरआई और कैथलैब की भी सुविधा के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
जिला अस्पताल में इस वर्ष मरीजों ने ली सुविधा
- ओपीडी में 1014992 मरीजों ने डाक्टर से परामर्श लिया।
- जांच के बाद अस्पताल में 49863 मरीजों को भर्ती कर दिया गया इलाज
- विशेषज्ञों ने 10208 बड़े और 6669 छोटे आपरेशन कर मरीजों की जिंदगी बचाई
- नेत्र रोग विशेषज्ञों ने 5832 मरीजों का आपरेशन कर जिंदगी में रोशनी भरी
- 6425 गर्भवतियों की डिलीवरी होने से घर में किलकारी गूंजी।
- 86235 मरीजों ने टेलीमेडिसिन का लाभ लेकर समय काे बचाया
- गंभीर स्थिति में 8676 मरीजों का सीटी स्कैन हुआ
- 7224 मरीजों की डायलिसिस कर चिकित्सकों ने बचाई जान
- आभा आनलाइन सेवा में 660696 मरीजों ने लिया लाभ
मेडिकल हब बन रहा ईएसआईसी, जमीन की तलाश तेज
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल को एमबीबीएस की पढ़ाई कराने के लिए 50 सीटों की अनुमति मिल चुकी है। छात्र-छात्राओं के एडमिशन होने के बाद पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अभी पुरानी बिल्डिंग में एकेडमिक जोन बनाया है। वहां छात्र-छात्राओं को सभी सुविधाएं दी गई हैं जबकि परिसर में ही हॉस्टल भी बन गया है। योजना है कि अगले वर्षों में कालेज की सीटें बढ़ने पर अस्पताल को भी 500 बेड का किया जाएगा। हालांकि, अभी प्रबंधन को जमीन की तलाश है।
मंत्रालय व रीजनल डायरेक्टर को जमीन के लिए पत्र भेजा गया है। ईएसआईसी में अभी मरीजों को किडनी का इलाज कराने के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट और डायलिसिस की सुविधा नहीं है। प्रबंधन का कहना है कि जमीन के लिए नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से वार्ता चल रही है।
चाइल्ड पीजीआइ में कैथलैब, न्यूरोलाजिस्ट समेत अन्य विशेषज्ञ नहीं
सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ में न्यूरोलाजिस्ट, जेनेटिक्स एक्सपर्ट्स, नेफ्रोलाजिस्ट आदि विशेषज्ञ नहीं हैं। सुपर स्पेशलिस्ट होने के बावजूद अस्पताल में कैथलैब का काम अधर में लटका है जबकि आठ करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हो चुका है। सीटी स्कैन के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ। जागरण
एमआरआई के लिए मरीजों को दिल्ली या जिम्स के चक्कर काटने पड़ते हैं। खास बात है कि पीजीआइ की बिल्डिंग की मेंटेनेंस के लिए शासन से 30 करोड़ रुपये का प्रस्ताव मंजूर हो चुका है। यही नहीं, डिप्टी सीएम ने बीएनटी के लिए नौ बेड के वार्ड का फीता काटकर शुभारंभ किया था। मरीजों को ऑटिज्म, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी समेत कई आनुवंशिकी बीमारियों की जांच की सुविधा भी मिल गई है। इस जांच में 12 से 13 हजार रुपये का खर्च आता है, मशीन आने से अस्पताल में ही सस्ती दर में जांच शुरू हो गई है।
जिम्स में भी बढ़ रही सुविधाएं
ग्रेेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 152 करोड़ रुपये से नए मेडिकल कालेज भवन का काम चल रहा है। जीआईएसएल की कार्ययोजना में 8992 वर्गमीटर पर अस्पताल ब्लाक, मेडिकल कालेज विंग, पुरुष हास्टल, डायरेक्टर रेजिडेंस और साइट डेवलपमेंट, अतिरिक्त इलेक्ट्रिकल काम हाेंगे। अस्पताल की इमारत भूतल समेत छह मंजिल होगी। 1090 वर्गमीटर भूतल पर प्रतीक्षालय, 1317 वर्गमीटर पहले तल पर एडमिन आफिस, दूसरे पर ईएनटी विभाग, तीसरे पर आपातकालीन वार्ड व एनेस्थीसिया जबकि चौथे पर टीबी- छाती रोेग विभाग, पांचवे तल पर पीडियाट्रिक्स विभाग व अंतिम तल पर सामुदायिक मेडिसिन विभाग बनेगा।
ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान। जागरण आर्काइव
वहीं, 1680 वर्गमीटर जमीन पर हास्टल के दो ब्लाक बनेंगे। 24,317 स्क्वायर मीटर में मेडिकल कालेज विंग-पांच का निर्माण चल रहा है। इसमें वाहनों की पार्किंग, एनाटामी विभाग, हाल, शोध लैब, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलाजी, फोरेंसिक मेडिसिन और डर्मेटालो, मनोचिकित्सा विभाग व अन्य महत्वपूर्ण विभाग होंगे लेकिन, पहली किस्त का फंड न आने से क्रिटिकल केयर ब्लाक का निर्माण रुका हुआ है।
मरीजों को अगले वर्ष में मिलेगी राहत
मरीजों के लिए हेपेटाइटिस जांच और दवा की सुविधा शुरू की गई। कॉर्निया रिट्रीवल सेंटर बनाकर लोगों को कार्नियादान के लिए जागरूक किया गया। खास बात है कि जिम्स में मातृ डिवाइस के क्लीनिकल ट्रायल के बाद यूटिलिट पेटेंट भी मिल चुका है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने डिजिटल एक्स-रे, एडिशनल सिटी स्कैन लैब की सौगात दी। यही नहीं, शासन से जिम्स को आठ सुपर स्पेशियलिटी, रोबोटिक सर्जरी, कॉर्डियोलाजी विभाग की अनुमति दी गई। यहां अभी इकोकॉर्डियोग्राफी, टीएमटी, होल्टर, सीटी एंजियोग्राफी, ईसीजी, डीएसई, टीएमटी और टीईई की जांच होती हैं।
सीएमओ के लिए विभाग में होती रही जद्दोजहद
दिसंबर 2024 में डा. सुनील शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार ने कार्यवाहक की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन विभाग की आपसी खींचतान के बीच उन्हें भी फरवरी में सीट से हटना पड़ा था। उनके स्थान पर डा. आरके सिंह ने चंद दिनों के लिए सीएमओ का कार्यभार संभाला था। स्वास्थ्य विभाग में सीट को लेकर चल रही रस्साकसी की गूंज शासन तक पहुंची और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हरी झंडी मिलने के बाद डा. नरेंद्र कुमार की मुख्य चिकित्सा अधिकारी के लिए ताजपोशी हुई। तब शासन ने कई जनपद में सीएमओ तैनात किए थे।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला अस्पताल में 135 तरह की जांच, 290 तरह की दवाई, 24 घंटे इमरजेंसी, एंटी रेबीज सीरम, टीकाकरण समेत अन्य सुविधाएं हैं। डीएनबी में एनेस्थीसिया के बाद ईएनटी, जनरल मेडिसिन, फैमिली मेडिसिन, आप्थोल्मोजी विभाग की सीटें भी जल्द मिलने की उम्मीद है। एमआरआई के लिए शासन को पत्र लिखा है। मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देना प्राथमिकता है।
-डा. अजय राणा- कार्यवाहक सीएमएस, जिला अस्पताल
चाइल्ड पीजीआइ में कैथलैब का काम चल रहा है। खास बात है कि बिल्डिंग स्ट्रक्चरल आडिट के बाद मेंटेनेंस के लिए शासन से मंजूरी मिल गई है। माइक्रोबायोलाजी लैब में बीएसएल -3 जांच भी शुरू हो चुकी है। जल्द ही नए टावर में कई महत्वपूर्ण विभाग शिफ्ट किए जाएंगे, जिसके बाद ओपीडी का विस्तार करने की योजना है। -प्रो. डा. अरुण कुमार सिंह-निदेशक- चाइल्ड पीजीआइ
गौतमुद्धनगर और दिल्ली के मेडिकल छात्रों के लिए खुशी की बात है कि ईएसआईसी को 50 सीटें एमबीबीएस के लिए मिल चुकी हैं। पढ़ाई शुरू होने के बाद अब एकेडमिक बिल्डिंग, हास्टर और अन्य व्यवस्था के लिए जमीन की आवश्यकता है। डायलिसिस और अन्य गहन जांच के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। -डॉ. हरनाम कौर-डीन, ईएसआईसी मेडिकल कालेज एंड अस्पताल |