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Aurangabad News: पराली जलाने पर विभाग सख्त, सैटेलाइट से निरीक्षण कर होगी कार्रवाई

LHC0088 2025-11-27 21:06:52 views 532

  

पराली जलाने पर विभाग सख्त, सैटेलाइट से निरीक्षण कर होगी कार्रवाई



संवाद सूत्र, अंबा (औरंगाबाद)। खेतों में हार्वेस्टर चलाने के लिए संचालक को कृषि विभाग से आदेश प्राप्त करना आवश्यक होगा। बिना अनुमति वे फसल की हार्वेस्टिंग न कर पाएंगे। इसके लिए कृषि विभाग सख्त है। उक्त बातें जिला कृषि पदाधिकारी संदीप राज ने गुरुवार को ई-किसान भवन अंबा में कर्मियों को इससे संबंधित में निर्देश दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने कहा कि खेतों में किसान पराली न जलाएं। रबी बीज वितरण एवं डीसीएस कार्यो की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बीज वितरण में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतनी है।

डीएओ ने बताया कि जिस किसान के खेत में हार्वेस्टर चलेगा उसके लिए संचालक को इस बात की सहमति लेनी होगी कि वे किसी भी स्थिति में पराली नहीं जलाएंगे। इसके बाद भी अगर वे पराली जलाते हैं तो भविष्य में कृषि से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं से उन्होंने वंचित होना पड़ेगा। पराली जलाकर वातावरण को प्रदूषित करना कानूनी रूप से दंडनीय है।

कृषि विभाग के अधिकारी पटना में सैटेलाइट के माध्यम से इसका निरीक्षण करेंगे। उन्होंने कर्मियों को निर्देश दिया कि अगर किसान पराली जलाते हैं तो उस क्षेत्र के किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बिना अनुमति हार्वेस्टर का संचालन पर कार्रवाई के दौरान उन्हें एमवीआई कराना पड़ सकता है।

किसान हार्वेस्टर से कटाई के बाद पराली को जलाते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती है व पर्यावरण को नुकसान होता है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं। अगर किसान इसका प्रबंधन करें तो पराली से खाद बनाकर मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
किसानों को जागरूक करने की जरूरत

किसान द्वारा पराली जलाने के कई कारण हैं। एक तो धान की कटाई करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर हार्वेस्टिंग के बाद बगैर फसल के अवशेष हटाए रबी की बुआई संभव नहीं है। हालांकि यह सही है कि पराली जलाने से मिट्टी की जैविक संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण का खतरा मंडराने लगता है। फसल का अवशेष जलाने से मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है। इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है। पर्यावरण प्रदूषण से जलवायु परिवर्तन में अनिश्चिता आ रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने से पर्यावरण व वातावरण को नुकसान होता है।
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