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गरीबी की वजह से पति छोड़ने वाली पत्नी भरण पोषण की हकदार नहीं : इलाहाबाद हाई कोर्ट

LHC0088 Yesterday 04:06 views 622

  



विधि संवाददाता, प्रयागराज। एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पति को उसकी गरीबी के कारण छोड़ देने वाली पत्नी भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी बिना किसी उचित कारण पति से अलग रह रही है और उसने तथ्यों को छुपा कर अदालत को गुमराह करने का भी प्रयास किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह आदेश न्यायमूर्ति मदनपाल सिंह की एकलपीठ ने चंदौली की रचना व्यास की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए दिया है।याचिका में प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश चंदौली के आदेश को चुनौती दी गई थी। प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश ने याची की ओर से 125 सीआरपीसी के तहत दाखिल भरण पोषण के आवेदन को खारिज कर दिया था।

ट्रायल कोर्ट के आदेश को ठहराया सही

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। याची के अधिवक्ता का कहना था कि ट्रायल कोर्ट ने क्रूरता के आरोपों पर विचार नहीं किया। पत्नी के पास पति से अलग रहने का पर्याप्त कारण था। पत्नी पर दूसरी शादी करने का आरोप सही नहीं है। दूसरी ओर पति के अधिवक्ता का कहना था कि दोनों के बीच पंचायत में हुए समझौते के आधार पर संबंध विच्छेद हो चुका है। पत्नी ने दूसरी शादी कर ली है।

ग्राम प्रधान द्वारा इस संबंध में प्रमाण-पत्र भी दिया गया है। हाई कोर्ट का कहना था कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए रिकार्ड से स्पष्ट है कि पत्नी ने अपनी मर्जी से ससुराल छोड़ा। उसका मायका अमीर था, जबकि पति गरीब परिवार से था। ससुराल छोड़ने का कोई उचित कारण नहीं बताया गया है।

पत्नी ने जो आधार कार्ड ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया, वह भी गलत था, क्योंकि उसने अपने आधार कार्ड में बाद में पति के नाम के स्थान पर पिता का नाम जुड़वाया था। इसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
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