सुमित शिशोदिया , नोएडा। 20वें दशक में 60 से 65 वर्ष तक के बुजुर्गों को होने वाली डायबिटीज 21वीं सदी में 22 साल तक के युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। चिकित्सकों ने बढ़ती बीमारी के लिए ऑफिस का तनाव, ज्यादा समय तक मोबाइल व टीवी स्क्रीन देखना, जंक फूड का अधिक सेवन व खराब जीवनशैली को बड़ी वजह माना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हैरानी की बात है कि डायबिटीज के मामले में जनपद की महिलाओं ने पुरुषों को काफी भी पीछे छोड़ दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2025 के दौरान 1.52 लाख से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य जांच की। इनमें 29 हजार 576 लोगों में डायबिटीज की पुष्टि हुई।
पुरुषों से ज्यादा महिलाएं डायबिटीज की चपेट में आ रहीं
स्वास्थ्य विभाग में एनसीडी प्रकोष्ठ के नोडल डाॅ. प्रदीप शैलत ने बताया कि मधुमेह में थकान महसूस होना, बार-बार मूत्र आना, प्यास लगना, कमजोर आंखें, बार-बार भूख लगना, त्वचा रोग, तलवों में जलन व सुईं की तरह चुभन होना, लगातार तबीयत खराब रहना जैसे प्रमुख लक्षण हैं। जनपद के विभिन्न स्थानों पर शिविर व स्वास्थ्य केंद्रों पर तमाम लोगों की शुगर जांच हुई।
इनमें सबसे ज्यादा 16,385 महिलाएं जबकि 14,191 पुरुष मरीज सामने आए हैं। नोएडा फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. अनुपम बिस्वास बताते हैं कि कोरोना और प्रदूषण से डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना वायरस के असर से शरीर में सूजन और ज्यादा स्टेरायड लेने से बीमारी बढ़ी है।
संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम व वजन घटाकर कम होगी डायबिटीज
दावा किया कि पीएम2.5 और एनओ2 के कण शरीर में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में पहुंचकर प्रक्रिया कमजोर कर देते हैं। बच्चों में डायबिटीज होने का कारण मोटापा, गलत खानपान, व्यायाम की कमी और तनाव लेना है। उनके मुताबिक, डायबिटीज महिलाओं में संतान पैदा करने की क्षमता (फर्टिलिटी) पर भी असर डाल सकती है।
महिलाओं में पीसीओएस और हार्मोनल असंतुलन की समस्याएं बढ़ती हैं, जबकि पुरुषों में स्पर्म की गुणवत्ता और हार्मोन प्रभावित होते हैं। गर्भावस्था में डायबिटीज होने से बच्चे का वजन ज़्यादा भी हो सकता है। टाइप-टू डायबिटीज को करने के लिए संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम व वजन घटाकर कम किया जा सकता हैं।
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