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कैदियों के फोन को लेकर सुरक्षा और नियमों पर हाई कोर्ट ने जताई चिंता, एसओपी बनवाने का आदेश

deltin33 5 day(s) ago views 993

  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। खुली जेल में बंद कैदियों तक मोबाइल फोन की पहुंच के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और उसे अधिसूचित करने का दिल्ली हाई कोर्ट ने महानिदेशक (कारागार) को निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि एसओपी में या तो ऐसे कैदियों को उचित नियमों और जांचों के साथ अपने मोबाइल फोन रखने की अनुमति दी जानी चाहिए या फिर उनके लिए एक सुरक्षित व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए ताकि वे खुली जेल में बंद कैदियों के रहने के दौरान अपने फोन जमा कर सकें और उन्हें वापस ले सकें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पीठ ने निर्देश दिया कि एसओपी को आठ सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा और लागू किया जाएगा। अदालत ने उक्त निर्देश एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। दोषी ने 2020 में सुनाई गई सजा और उसके बाद खुली जेल से बंद जेल में स्थानांतरित करने के आदेश को चुनौती दी।

खुली जेल के औचक निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने उनके पास से एक मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड और दो चार्जर बरामद किए। निरीक्षण न्यायाधीश द्वारा न्यायिक मूल्यांकन किया गया और बाद में दोषी को खुली जेल से बंद जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

अदालत ने कहा कि दिल्ली कारागार नियम- 2018 का नियम 1270 स्पष्ट है और न्यायिक मूल्यांकन के बिना कोई भी सजा या सुविधाओं से वंचित करना या दंडात्मक परिणामों के साथ किसी अन्य जेल में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता।

पीठ ने कहा कि खुली जेलों में कैदियों के लिए मोबाइल फोन अक्सर परिवार से संपर्क, कार्य समन्वय, परिवहन और बाहर अधिकृत घंटों के दौरान डिजिटल भुगतान के लिए बुनियादी माध्यम के रूप में कार्य करता है। पीठ ने कहा कि व्यवस्था के बिना, नियमों के कारण कैदियों को मुश्किल में पड़ने का खतरा है।

वहीं, दोषी के वकील ने कहा कि वर्तमान में ऐसी कोई जमा सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि जेल प्रशासन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि जेल परिसर में मोबाइल फाेन सहित अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं को रखने के लिए विशेष अनुमति की व्यवस्था है। हालांकि, वकील ने कहा कि खुली जेल में बंद कैदियों के लिए किसी भी जमा-और-वापसी प्रक्रिया पर कोई स्पष्टता नहीं है।

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