ऊर्जा निगम ने पिछले 25 सालों में 20 लाख से अधिक नए घरों में बिजली पहुंचा दी है। प्रतीकात्मक  
 
  
 
अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। जब उत्तराखंड अस्तित्व में आया, तब पहाड़ों की घाटियों में अंधियारा छंटना एक सपना था। तब राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाने का संकल्प लेकर उत्तराखंड ने इसे अपने परिश्रम से साकार किया। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. ने तमाम बंदिशों के बावजूद विद्युत उत्पादन क्षमता को 1000 मेगावाट से बढ़ाकर 1400 मेगावाट कर लिया, जबकि ऊर्जा निगम ने पिछले 25 सालों में 20 लाख से अधिक नए घरों में बिजली पहुंचा दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
साथ ही राज्य में निर्बाध विद्युत आपूर्ति का रिकार्ड भी बनाया। वहीं ऊर्जा के प्रवाह का दायित्व संभाल रहे पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन आफ उत्तराखंड लि. ने 132, 220 और 400 केवी की लाइनों का जाल पूरे राज्य में बिछाकर हर कोने को ऊर्जा की डोर से जोड़ दिया।  
 
जब उत्तराखंड बना था, तब राज्य में केवल 8.4 लाख उपभोक्ता थे, जो बढ़कर 29.8 लाख हो गए हैं। यानी उपभोक्ता की संख्या में 255 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे यूपीसीएल का टर्नओवर भी 10,609 करोड़ रुपये पहुंच चुका है। यूपीसीएल का वितरण तंत्र भी इन वर्षों में बेहद मजबूत हुआ है। वर्ष 2001 में राज्य का कुल अनुबंधित भार 1,466 मेगावाट था, जो अब बढ़कर 8,918 मेगावाट हो गया है। कुल ऊर्जा आपूर्ति भी 3,038 मिलियन यूनिट से बढ़कर 17,200 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है।  
 
यूपीसीएल को सबसे बड़ी सफलता बिजली वितरण में होने वाली हानियों को घटाने में मिली है। वितरण हानि अब 26.65 प्रतिशत से घटकर 13.82 प्रतिशत रह गई है। राज्य में 33/11 केवी उपकेंद्रों की संख्या 137 से बढ़कर 380 और ट्रांसफार्मर की संख्या 20,728 से बढ़कर 93,979 हो गई है।  
  
 - 33 केवी लाइनें ---2,389 किमी से बढ़कर 6,173 किमी 
 
  - 11 केवी लाइनें --21,576 किमी से बढ़कर 48,916 किमी 
 
  - एल.टी. लाइनें ---32,617 किमी से बढ़कर 77,100 किमी 
 
     
  
विद्युत आपूर्ति के क्षेत्र में ऊर्जा विभाग लगातार नई तकनीक का प्रयोग कर अपने तंत्र का विस्तार कर रहा है, आने वाले सालों में ऊर्जा विभाग खुद को और भी सशक्त और तकनीक से लैस करेगा। इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।   -  
 
- आर मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख सचिव-ऊर्जा |