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स्मार्टफोन में Precise Location इनेबल करना है बड़ा खतरा, IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं का चौंकाने वाला खुलासा

LHC0088 5 day(s) ago views 1001

  

सटीक लोकेशन अनुमति देने वाले मोबाइल ऐप्स से लीक हो सकती है निजी जानकारी।



लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। अब आपका स्मार्टफोन सिर्फ रास्ता बताने वाला उपकरण नहीं, बल्कि यह आपकी निजी जिंदगी की झलक भी दिखा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआई्टी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सच्चाई उजागर की है, जिससे यह साबित होता है कि मोबाइल एप्स में प्रिसाइस लोकेशन यानी सटीक स्थान अनुमति देना कितना बड़ा खतरा बन सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर स्मृति आर सारंगी और एम टेक छात्र सोहम नाग द्वारा किए गए इस शोध अध्ययन में पाया गया है कि जीपीएस सिग्नल आपके स्थान ही नहीं बल्कि आपके आसपास के माहौल और गतिविधियों तक की जानकारी उजागर कर सकते हैं।

इस अध्ययन का शीर्षक है एंड्रोकान एक जीपीएस सूचना का उपयोग करके परिवेश, मानव गतिविधि और लेआउट सेंसिंग के लिए एक एंड्राइड फोन आधारित सेंसर रखा गया है। जो एसीएम ट्रांजैक्शन आन सेंसर नेटवर्क्स जैसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
बिना कैमरा-माइक के भी संभव निगरानी

शोध में विकसित सिस्टम एंड्रोकाॅन यह दिखाता है कि स्मार्टफोन के जीपीएस में मौजूद बेहद संकेत जैसे डाॅप्लर शिफ्ट, सिग्नल की ताकत और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस का विश्लेषण करके यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति बैठा है, खड़ा है, चल रहा है या लेटा हुआ है।

यहां तक कि यह भी पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति मेट्रो में हैं, पार्क में है या किसी भीड़भाड़ वाले स्थान में। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब जानकारी कैमरा, माइक्रोफोन या मोशन सेंसर का उपयोग किए बिना केवल जीपीएस डेटा से ही प्राप्त की जा सकती है।
99 प्रतिशत तक सटीकता

आईआईटी दिल्ली की टीम ने बताया कि सालभर चले एक अध्ययन में 40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और अनेक परिवेशों में यह तकनीक 99% तक सटीकता से मानव गतिविधियों को पहचानने में सक्षम रही। यही नहीं एंड्रोकाॅन इमारत के नक्शे, कमरों की स्थिति, सीढ़ियों और लिफ्ट की पहचान भी कर सकता है।
निजता पर बड़ा खतरा

प्रोफेसर सारंगी के अनुसार, यह अध्ययन जीपीएस तकनीक का अनदेखा और खतरनाक पहलू सामने लाता है। उन्होंने कहा, एंड्रोकाॅन यह दिखाता है कि जीपीएस जैसी साधारण लगने वाली तकनीक भी हमारे आसपास के माहौल को गहराई से भांप सकती है। यह विज्ञान की दृष्टि से रोचक है, लेकिन गोपनीयता की दृष्टि से गंभीर चेतावनी भी।  
सावधानी जरूरी

विशेषज्ञों ने कहा कि उपयोगकर्ताओं को मोबाइल ऐप्स को ‘प्रिसाइस लोकेशन एक्सेस’ देने से पहले सोचना चाहिए, क्योंकि यह अनुमति कई बार आपकी जानकारी से अधिक कुछ साझा कर सकती है।

यह भी पढ़ें- 1 नवंबर दिल्ली में इन गाड़ियों की नो एंट्री, बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते CAQM ने लगाई सख्त पाबंदी
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