नागपुर में किसान आंदोलन से 30 किमी लंबा जाम लगा (फोटो- पीटीआई)  
 
  
 
राज्य ब्यूरो, मुंबई। नागपुर में किसान आंदोलन के कारण नागपुर-वर्धा हाइवे पर 30 किमी. लंबा जाम लग गया। मुंबई उच्चन्यायालय की नागपुर खंडपीठ के आदेश एवं सरकार की ओर से भेजे गए दो मंत्रियों से चर्चा के बाद आंदोलनकारी गुरुवार को मुंबई आकर मुख्यमंत्री से चर्चा करने को तैयार हो गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
लेकिन उनका आंदोलन हाइवे के बजाय मैदान में जारी रहेगा। यदि गुरुवार की बातचीत में उन्हें कर्जमाफी की कोई निश्चित तारीख न बताई गई, तो आंदोलन को और तेज करते हुए सड़क के साथ-साथ ट्रेनें भी रोक दी जाएंगी।  
महा यलगार मार्च की घोषणा  
 
प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कड़ू ने सरकार के पुराने वायदे पूरा न होने के कारण ‘महा यलगार मार्च’ की घोषणा की थी। संपूर्ण कर्ज माफी एवं किसानों की खतौनी पर चढ़े कर्ज को पूरी तरह साफ करने सहित कई और मांगों को लेकर मंगलवार को हजारों की संख्या में किसान 250 से 300 तक ट्रैक्टर लेकर नागपुर-वर्धा हाइवे एनएच-44 पर पहुंच गए।  
किसानों ने बुधवार को भी यह जाम जारी रखा  
 
यह मार्ग उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए जाना जाता है। किसानों ने बुधवार को भी यह जाम जारी रखा। इसके कारण 30 किमी. से अधिक दूरी तक वाहनों की कतार लग गई। इस आंदोलन में बच्चू कड़ू का साथ देने के लिए किसान नेता राजू शेट्टी, पृथक विदर्भ आंदोलन के नेता वामनराव चटप एवं धनगरों के नेता महादेव जानकर भी पहुंच गए।  
 मुंबई उच्चन्यायालय की नागपुर पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया  
 
एनएच-44 पर लगे लंबे जाम को देखते हुए बुधवार को मुंबई उच्चन्यायालय की नागपुर पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ ने एक आदेश पारित कर कहा कि शाम छह बजे तक आंदोलनकारी हाइवे खाली करें।   
 
 कोर्ट ने कहा कि किसानों को आंदोलन की अनुमति सिर्फ 24 घंटे के लिए दी गई थी। धरना निर्धारित समय सीमा खत्म होने के बाद भी जारी रखा गया है। इसे छह बजे से पहले समाप्त किया जाना चाहिए। इस बीच सरकार की ओर से दो राज्य मंत्रियों आशीष जायसवाल एवं पंकज भोयर को किसानों से बात करने के लिए भेजा गया। सरकारी प्रतिनिधि मंडल ने धरना स्थल से ही मुख्यमंत्री से बात करके गुरुवार को उनके साथ किसान नेताओं की बैठक तय की।  
 सड़क के साथ-साथ ट्रेनें भी रोकना शुरू कर देंगे- किसान  
 
इसके बाद किसान नेता अपना आंदोलन हाइवे के बजाय एक मैदान में स्थानांतरित करने पर राजी हो गए। लेकिन यह चेतावनी भी दी है कि यदि मुंबई की बातचीत में किसानों की कर्जमाफी की कोई निश्चित तारीख नहीं दी गई, तो वे आंदोलन को और उग्र करते हुए सड़क के साथ-साथ ट्रेनें भी रोकना शुरू कर देंगे। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
 |