बुधवार को उच्च स्तरीय जांच समिति ने दूसरे दिन भी चाईबासा में जांच की।  
 
जागरण संवाददाता, चाईबासा। थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के एचआईवी पाजिटिव पाए जाने के मामले में जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को उच्च स्तरीय जांच समिति ने दूसरे दिन भी चाईबासा में दिनभर जांच जारी रखी। यह मामला स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही का बड़ा उदाहरण बनता जा रहा है। इस हादसे ने पूरे राज्य में चिंता की लहर फैला दी है।  
 
ब्लड बैंक में प्रोटोकाल के पालन की ली जानकारी : 
जांच समिति ने ब्लड बैंक के नोडल अधिकारी डा. एनके. सुंडी, पांच लैब टेक्नीशियन और एक स्टाफ नर्स से पूछताछ की। समिति ने डोनर रजिस्टर, रक्त संग्रह, सैंपलिंग और संक्रमण नियंत्रण से जुड़ी प्रक्रियाओं की बारीकी से पड़ताल की। जांच के दौरान यह भी देखा गया कि ब्लड बैंक में निर्धारित प्रोटोकाल का पालन किस हद तक किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें अनुबंधित कर्मी मनोज की भूमिका संदेहास्पद : सबसे अधिक संदेह अनुबंधित कर्मचारी मनोज कुमार की भूमिका पर जताया जा रहा है। समिति ने उसकी आलमारी की चाबी मांगी, लेकिन चाबी नही दी गई। इसके बाद आलमारी का ताला तोड़कर दस्तावेज जब्त किए गए। बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग पहले ही मनोज कुमार को सेवामुक्त कर चुका है, लेकिन घटना सामने आने के बाद से वह लापता है। उसका मोबाइल दो दिनों से बंद है। समिति ने पूछताछ के लिए उसे बुलाने की कोशिश की, मगर संपर्क नहीं हो सका।  
 
जांच दल में डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ भी शामिल : 
जांच दल में विशेष सचिव (स्वास्थ्य) डा. नेहा अरोड़ा, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डा. सिद्धार्थ सान्याल, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. एसके. सिंह, रक्त अधिकोष प्रभारी डा. सुषमा कुमारी, राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की संयुक्त निदेशक ऋतु सहाय और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ डा. अमरेन्द्र कुमार शामिल हैं। बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य से जुुड़ा है मामला : स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा है, इसलिए जांच तेजी से की जा रही है। विभाग का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह गंभीर चूक लापरवाही से हुई या जानबूझकर की गई गड़बड़ी थी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। |